इस तरह माने राकेश टिकैत: तो ये है लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में समझौते के पीछे की असली कहानी
लखीमपुर खीरी में हुई हुई हिंसक घटना के बाद गरमायी सियासत के बीच इस मामले में यूपी प्रशासन और किसान नेताओं के बीच समझौते की भी खबरें सामने आ रही है। डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानिये आखिर कैसे हुआ समझौता और क्या रही इसकी शर्ते
लखनऊ: लखीमपुर खीरी में हुई रविवार को हुई हिंसक घटना के बाद सियासत गरमाती जा रही है। एक पत्रकार समेत कुछ किसानों और कुल 9 लोगों की मौत के बाद योगी सरकार के खिलाफ जहां विपक्षी पार्टियां हमलावर हैं वहीं अब खबर है कि इस मामले को लेकर किसानों और प्रशासन के बीच समझौता हो गया है। किसान नेता राकेश टिकैत और एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार द्वारा की गई साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी इसी समझौते के नतीजा है।
साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में राकेश टिकैत के सामने ही प्रशांत कुमार ने लखीमपुर खीरी में किसी भी राजनेता के जाने को प्रतिबंधित किये जाने का भी ऐलान किया और वहां धारा 144 लगाने की भी घोषणा की। जिसका मतलब कि लखीमपुर खीरी में पार्टियों के नेता ही नहीं बल्कि किसान भी बड़ी संख्या में नहीं जुट सकते और धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकते।
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जानकारी के मुताबिक इस साझा प्रेस कांफ्रेंस से पहले नेता राकेश टिकैत की प्रदेश सरकार के अधिकारियो से कुछ देर तक बंद कमरे में चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि इस बातचीत में राकेश टिकैत ने लखीमपुर हिंसा को लेकर किसानों के बीच बढ़ते आक्रोश से भी अधिकारियों को अवगत कराया और किसानों की ओर से सरकार के सामने सभी मांगे भी रखी। किसानों की कई मांगों को सरकार द्वारा मान लिया जाने का भरोसा मिलने के बाद राकेश टिकैत ने साझा प्रेस कांफ्रेंस की हामी भरी।
राकेश टिकैत ने इस घटना में मुआवजे के साथ मृतकों के परिजनों के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, मृतकों के परिजनों को 45 लाख रुपये का मुआवजा के साथ ही मंत्री और उसके बेटे के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के अलावा, मंत्री पुत्र की गिरफ्तारी और मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा की राकेश टिकैत ने एलान किया कि शव का पोस्टमार्टम होने दिया जाए।
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हालांकि राकेश टिकैत ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर 10 घंटे में सरकार द्वारा उनकी मांगे पूरी नही हुई तो किसानों द्वारा बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
यूपी सरकार के इस ऐलान से पहले लखीमपुर में हिंसा के बाद से वहां किसानों का प्रदर्शन जारी था और वहां लोग मारे गए किसानों के शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान कई मांगों पर अड़े थे। लेकिन अब लखनऊ में हुए ऐलान के बाद किसानों और लखीमपुर खीरी प्रशासन के बीच भी समझौते की खबरें हैं।