Uttar Pradesh : डकैतों के लिए कुख्यात रहा ‘कटरी’ क्षेत्र बना मूंगफली कारोबार का प्रमुख केंद्र

डीएन ब्यूरो

शाहजहांपुर कभी डकैतों के आतंक के लिए कुख्यात रहा शाहजहांपुर का तटीय ‘कटरी’ क्षेत्र अब मूंगफली कारोबार का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है और हजारों महिला-पुरुषों को रोजगार दे रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

‘कटरी’ क्षेत्र अब मूंगफली कारोबार का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा
‘कटरी’ क्षेत्र अब मूंगफली कारोबार का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा


शाहजहांपुर: कभी डकैतों के आतंक के लिए कुख्यात रहा शाहजहांपुर का तटीय ‘कटरी’ क्षेत्र अब मूंगफली कारोबार का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है और हजारों महिला-पुरुषों को रोजगार दे रहा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार जिले के जलालाबाद तहसील क्षेत्र स्थित गंगा, राम गंगा तथा बहगुल नदियों के पास बने भूभाग को ‘कटरी’ भी कहा जाता है। यहीं बसा छोटा सा कस्बा अल्लाहगंज अब 100 से ज्यादा कारखानों वाला मूंगफली कारोबार का बड़ा केंद्र बन गया है। यहां के कारोबारी देश के विभिन्न हिस्सों में मूंगफली की आपूर्ति कर रहे हैं।

हालांकि, इस खुशहाल वर्तमान से पहले का यहां का इतिहास डकैतों के आतंक के लिए जाना जाता है।

स्थानीय निवासी शैलेंद्र पांडे बताते हैं कि पहले यहां शाम ढलते ही लोग घर से निकलना बंद कर देते थे। कटरी क्षेत्र में लगभग चार दशक तक छविराम पोथी, रानी ठाकुर, बड़े लल्ला, कल्लू और नज्जू के अलावा नरेशा धीमर जैसे डकैतों का गिरोह तांडव मचाता था। उनका आतंक जलालाबाद तहसील के कलान, मिर्जापुर और अल्लाहगंज तक था।

पुलिस अधीक्षक एस. आनंद ने बताया कि जनवरी 2006 में कल्लू डकैत के पुलिस के हाथों मारे जाने के बाद से यह इलाका आतंक से मुक्त हुआ। डकैत कल्लू का आतंक शाहजहांपुर के साथ-साथ बरेली, एटा और फर्रुखाबाद तक था। उसे 20 पुलिसकर्मियों की हत्या का जिम्मेदार भी माना जाता है। उसके खिलाफ हत्या, अपहरण और लूट के 90 से ज्यादा मामले दर्ज थे।

उन्होंने बताया कि पुलिस ने धीरे-धीरे करके सभी डकैतों का खात्मा कर दिया। उसके बाद क्षेत्र में किसान निश्चिंत होकर खेती करने लगे। उसी का परिणाम है कि आज क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना भी हो रही है।

जलालाबाद क्षेत्र से विधायक हरि प्रकाश वर्मा ने कहा कि यह फख्र की बात है कि कभी डकैतों के खौफ के लिए कुख्यात कटरी क्षेत्र अब मूंगफली उद्योग के लिए पहचाना जाता है। सरकार इस बात के लिए प्रयासरत है कि यहां के उद्यमियों को ज्यादा से ज्यादा सहूलियत मिले।

मुख्य विकास अधिकारी श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि अल्लाहगंज में मूंगफली प्रसंस्करण का बड़ा काम हो रहा है। यहां पर हरदोई मैनपुरी आगरा और फर्रुखाबाद समेत आसपास के जिलों से कच्ची मूंगफली लाई जाती है जिसका यहां प्रसंस्करण किया जाता है। यहां के व्यापारी छोटी-छोटी इकाइयां लगाकर काम कर रहे हैं, जिससे अल्लाहगंज तथा आसपास के हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है। यहां की मूंगफली की गुजरात, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडु, तेलंगाना और महाराष्ट्र समेत विभिन्न राज्यों में खासी मांग है। इन राज्यों में मूंगफली का तेल निकाला जाता है और नमकीन भी बनाई जाती है।

उन्होंने बताया कि प्रशासन की कोशिश है कि अल्लाहगंज में एक बड़ी प्रसंस्करण इकाई लगाई जाए ताकि यहां के मूंगफली व्यापारियों को ज्यादा मुनाफा मिल सके।

मूंगफली उद्योग यहां के व्यापारियों के साथ-साथ श्रमिकों और कामगारों के लिए भी रोजी-रोटी का एक बड़ा जरिया है।

व्यापारी राजेंद्र कुमार गुप्ता के मुताबिक मूंगफली का उद्योग शुरू होने से यहां बेरोजगारी की विकट समस्या काफी हद तक कम हुई है। आमतौर पर बरसात के दिनों में कोई काम नहीं होने के कारण महिला और पुरुष श्रमिक घर में ही रहते थे। अब वर्षा ऋतु में भी उन्हें मूंगफली उद्योग के चलते भरपूर काम मिल रहा है और हर श्रमिक रोजाना 400 से लेकर 500 रुपये तक कमा लेता है। एक तरह से मूंगफली का यह कारोबार उनकी आजीविका की रीढ़ बन गया है।

अल्लाहगंज व्यापार मंडल के अध्यक्ष पवन गुप्ता बताते हैं कि वर्तमान में अल्लाहगंज में सालाना लगभग 600 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इस कस्बे में मूंगफली का कारोबार वर्ष 2008 में बहुत छोटे पैमाने पर शुरू हुआ था। व्यापारी राजस्थान या झांसी से मूंगफली लाते थे और उसे भट्ठी में भूनकर लखनऊ और इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में बेचते थे। वर्ष 2012 में तकनीकी उन्नयन को यहां के मूंगफली कारोबारियों ने भी अपनाया और गुजरात से मूंगफली छीलने की मशीन लाई गई। उसके बाद यहां के कारीगरों ने स्थानीय स्तर पर ही वे मशीनें बनानी शुरू कर दीं जिससे मूंगफली का कारोबार और भी तेजी से बढ़ा। इस वक्त अल्लाहगंज में मूंगफली प्रसंस्करण के लगभग 100 कारखाने लगे हैं।

हालांकि, उनका यह भी कहना है कि अगर प्रशासन मूंगफली कारोबारियों की कुछ व्यावहारिक समस्याओं पर ध्यान दे तो यह कारोबार और भी ज्यादा बढ़ सकता है।

अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) त्रिभुवन ने बताया कि वह जल्द ही अल्लाहगंज में मूंगफली कारोबारियों के साथ एक बैठक करके उनकी समस्याओं को सुनेंगे तथा इस व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए उनके सुझाव लेकर एक रणनीति बनाएंगे ताकि इस कार्य में और ज्यादा उद्यमियों को प्रेरित कर सकें और वे अपना उद्योग स्थापित करें।

अल्लाहगंज का मूंगफली उद्योग सरकार के लिए भी राजस्व का एक बड़ा जरिया है। कृषि उत्पादन मंडी समिति के सचिव राजीव रंजन ने बताया कि अल्लाहगंज मूंगफली उद्योग से औसतन 20 लाख रुपये प्रति माह राजस्व प्राप्त होता है।

जिला उद्योग केंद्र के सहायक महाप्रबंधक अरुण कुमार पांडे ने बताया कि सरकार ने अल्लाहगंज में मूंगफली उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उद्यमियों को ऋण देने की सुविधा प्रदान की है। उद्यमी जरूरी औपचारिकताएं पूरी करके इसका फायदा उठा सकते हैं।










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