Janmashtami 2019: वृंदावन के इन चार मंदिरों में दिन में ही मनाया जाता है जन्माष्टमी, जानें क्यों?

डीएन ब्यूरो

देश के साथ-साथ पुरी दुनिया में कृष्ण जन्माष्टमी बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। हर जगह रात के समय में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी रात में मनाई जाती है। वहीं कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जहां दिन के समय में जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस साल जन्माष्टमी 24 अगस्त को मनाई जाएगी। पढ़ें आखिर क्यों इन मंदिरों में दिन के समय में जन्माष्टमी मनाई जाती है डाइनामाइट न्यूज़ पर..

मंदिर में पूजा करते पुजारी
मंदिर में पूजा करते पुजारी


नई दिल्ली: इस साल 24 अगस्त को देश के साथ ही पूरी दुनिया में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाएगी। वहीं यशोदा भाव से सेवा होने के कारण वृन्दावन के चार मंदिरों में दिन में ही कान्हा का जन्मोत्सव मनाया जाता है। 

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मंदिरों के आचार्य के मुताबिक यशोदा भाव से सेवा में हर पल इस बात का ख्याल रखा जाता है कि सेवा एक बालक की हो रही है। श्रीकृष्ण का अवतरण लगभग साढ़े पांच हजार साल पहले हुआ था। ऐसा माना जाता है कि रात के 12 बजे बच्चे को जगाना ठीक नहीं है इसलिए सप्त देवालयों में से तीन यानी राधादामोदर, गोकुलानन्द एवं राधारमण मंदिर में दिन में जन्माष्टमी मनाई जाती है।

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वृंदावन मंदिर

इसका एक कारण यह भी है कि जन्माष्टमी पर वृन्दावन के सप्त देवालयों में ठाकुर का अभिषेक किया करते थे। सभी सप्त देवालयों में रात में अभिषेक करना संभव नहीं था इसलिए वे राधादामोदर, राधारमण और गोपीनाथ मंदिर में दिन में अभिषेक किया करते थे और अन्य मंदिरों में रात में किया करते थे।

दिन में पूजा करते समय यमुना का जल चढ़ाया जाता है। साथ ही दूध, दही, घृत, बूरा, शहद, औषधियों एवं महा औषधियों से दामोदर जी, वृन्दावन चन्द्र, माधव, छैलचिकनिया के चल विगृह, गोपालजी और गिर्राज शिला का अभिषेक वैदिक मंत्रों के मध्य कई घंटे तक करते हैं।










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