सरकारी नोटिसों की आड़ में सिसवा के व्यापारियों का उत्पीड़न बंद नही हुआ तो छिड़ेगा जन आंदोलन: पूर्व मंत्री सुशील टिबड़ेवाल

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार टिबड़ेवाल ने कहा है कि चुनाव से ठीक पहले दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-111 के अंतर्गत सरकारी नोटिसें भेजकर सिसवा के जाने-माने एवं समाज के प्रतिष्ठित व्यापारियों पर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का नाजायज कृत्य पुलिस और प्रशासन के अफसर कर रहे हैं। इस दमनात्मक और उत्पीड़नात्मक कार्यवाही को तत्काल बंद नहीं किया गया तो समाजवादी पार्टी एक बड़ा जन आंदोलन छेड़ेगी। पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री सुशील कुमार टिबड़ेवाल
उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री सुशील कुमार टिबड़ेवाल


सिसवा (महराजगंज): उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार टिबड़ेवाल ने कहा है कि चुनाव से ठीक पहले दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-111 के अंतर्गत सरकारी नोटिसें भेजकर सिसवा के निर्दोष व्यापारियों पर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का नाजायज कृत्य पुलिस और प्रशासन के अफसर कर रहे हैं। इस दमनात्मक और उत्पीड़नात्मक कार्यवाही को तत्काल बंद नहीं किया गया तो समाजवादी पार्टी एक बड़ा जन आंदोलन छेड़ेगी। 

पूर्व मंत्री श्री टिबड़ेवाल ने कहा कि सिसवा के तमाम व्यापारियों को भेजे गये इस पुलिसिया-प्रशासनिक नोटिसों की जानकारी उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को फोन पर दी है। 

श्री टिबड़ेवाल ने कहा कि व्यापारियों के नाजायज उत्पीड़न पर उन्होंने एसपी से बात की है और स्पष्ट कहा है कि प्रतिष्ठित व्यापारियों का नोटिस और मुचलके के नाम पर बेजा उत्पीड़न बंद किया जाय।

चुनाव से पहले योगी सरकार ने अपना असली चरित्र दिखा दिया है। चुनाव से पहले निरोधात्मक कार्यवाही और पाबंद करने के नाम पर जाने-माने एवं समाज के प्रतिष्ठित व्यापारियों को डराने का खेल हो रहा है। बड़े अपराधी खुलेआम अपराध कर रहे हैं। 25-25 हजार के इनामी क्रिकेट खेल रहे हैं और इज्ज्तदार व्यापारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है। 

श्री टिबड़ेवाल ने कहा कि बिना किसी जांच-पड़ताल के चालानी रिपोर्ट सत्ता के इशारे पर भेजी जा रही है। इसके लिए जिले के सत्तारुढ़ नेता जिम्मेदार हैं। बिना इन नेताओं के इशारे के इस तरह का खेल नहीं हो सकता। वैश्य समाज और व्यापारी भाजपाईयों के दोहरे चरित्र को जान चुका है और इसका बदला 2022 के चुनाव में भाजपा को बुरी तरह हराकर लेगा।     










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