Gorakhpur University Follow Up: बुरी तरह पिटने के बाद टूटी गोरखपुर पुलिस की नींद, गोरखपुर यूनिवर्सिटी बवाल मामले में 22 के खिलाफ संगीन धाराओं में FIR, तनाव बरकरार, जानिये क्या लिखा है एफआईआर में
हर मामले को पहले हल्के में लेना और टाल-मटोल कर मामले को लटकाये रखना गोरखपुर पुलिस पर भारी पड़ गया। ABVP के छात्रों व बाहरी लोगों के हाथों बुरी तरह गोरखपुर पुलिस, कुलपति राजेश सिंह, रजिस्ट्रार आदि के पीटने के बाद अब मुंह छिपाने के लिए पुलिस ने 22 लोगों के खिलाफ संगीन धाराओं में FIR दर्ज की गयी है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव
गोरखपुर: पंडित दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में शुक्रवार को हुए बवाल के मामले में वीडियो वायरल होने से देश भर में गोरखपुर पुलिस की जमकर थू-थू हो रही है।
ABVP के छात्र फीस वृद्दि के खिलाफ कई दिनों से यूनिवर्सिटी परिसर में धरना दे रहे थे। ये लड़के चाहते थे कि कुलपति राजेश सिंह उनसे आकर मिल लें तथा उनकी बात सुन लें लेकिन न जाने क्यों छात्रों की इस मांग को कुलपति व उनके मातहतों ने नजरअंदाज कर दिया। इस बीच कल विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस भी बुला ली गयी।
इसके बाद मामला बिगड़ने लगा और छात्रों ने जमकर बवाल काटा और तोड़फोड़ मचाते हुए पुलिस वालों, कुलपति, रजिस्ट्रर सहित जो हाथ लगा उसकी जमकर कुटाई कर डाली। इसके वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो राज्य सरकार की हनक पर सवाल खड़े होने लगे।
कुलपति और पुलिस वालों की पिटाई का देखने के लिए इस वीडियो लिंक को क्लिक करें
इसके जवाब में खानापूर्ति, भारी-भरकम एफआईआर के रुप में सामने आयी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक गोरखपुर के कैंट थाने में FIR नंबर 542/2023 के अंतर्गत धारा 147, 342, 427, 323 व 7 CLA में मुकदमा पंजीकृत हुआ है। ये FIR यूनिवर्सिटी के नियंता सत्यपाल सिंह ने बतौर वादी दर्ज करायी गयी है। इसमें 8 छात्रों को नामजद आऱोपी बनाया गया है तथा एक ठेकेदार पीयूष सिंह को आरोपी बनाया गया है। इसमें खास बात यह है कि 13 बाहरी लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है।
फिलहाल इस मामले को लेकर तनाव बरकरार है, पुलिस ने यदि इस मामले को बुद्दिमानी से हल नहीं किया तो आने वाले दिनों में ABVP के छात्रों का गुस्सा और भड़क सकता है क्योंकि मामला छात्रों की फीस वृद्दि से जुड़ा हुआ है। जिसको लेकर छात्रों के पास जबरदस्त समर्थन है।
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जोन व रेंज के बड़े अफसरों ने जमकर बरती लापरवाही
पुलिस इसमें बाहरी और ठेकेदारी एंगल जोड़ भले अपनी नाकामी को छिपाने का प्रयास करे लेकिन हकीकत यह है कि इस मामले से निपटने में पुलिस और खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल नजर आय़ा। गोरखपुर जोन और रेंज के बड़े पुलिस अफसरों की सारे मामले में भारी लापरवाही नजर आती है। स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि लंबे समय से जोन व रेंज में जमे इन नाकाम अफसरों का काम सिर्फ इतना बचा है कि जब मुख्यमंत्री शहर में आये तो ये उनके सामने अपना चेहरा डेंट-पेंट कर पहुंच जाये और पीआर के दम पर अपने नंबर बढ़ाते रहें। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि जब कई दिनों से छात्र धरने पर थे और हालात बड़े बवाल की तरफ इशारा कर रहे थे तब जोन व रेंज के बड़े अफसर अपने कानों में तेल डालकर क्यों सो रहे थे? उन्होंने गोरखपुर पुलिस के अफसरों के साथ मिलकर समय रहते इस बवाल को टालने की प्रभावी कोशिश क्यों नहीं की? अगर लंबे वक्त से जमे इन बड़े अफसरों ने मामले को तनिक भी गंभीरता से लिया होता तो शायद राज्य सरकार की इस कदर किरकिरी देश भर में न होती।
एफआईआर का पूरा विवरण
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