Milkha Singh: महान धावक मिल्खा सिंह का कोरोना से निधन, जानिये इस फ्लाइंग सिख से जुड़ी ये खास बातें

डीएन ब्यूरो

भारत के महान धावक और फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह का कोरोना के कारण 91 साल की उम्र में निधन हो गया है। उनके निधन पर जानिये उनसे जुड़ी कुछ खास बातें

कोरोना संक्रमित थे मिल्खा सिंह
कोरोना संक्रमित थे मिल्खा सिंह


नई दिल्ली: भारत के महान धावक और दुनिया भर में फ्लाइंग सिख का नाम से मशहूर मिल्खा सिंह का कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया है। वह 91 साल के थे। मिल्खा सिंह कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती किए गए थे। उनका ऑक्सीजन लेवल भी काफी कम हो गया था। उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी, उन्हें इलाज के लिये चंडीगढ़ के PGI अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उनकी मौत हो गई है।  

इसी हफ्ते मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह का भी हुआ देहांत

मिल्खा सिंह के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम नेताओं और देश की जानी-मानी शख्सियतों ने मिल्खा के निधन पर शोक जताया है। फिल्म अभिनेता और मिल्खा सिंह पर बनीं फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले फरहान अख्तर ने भी संवेदना प्रकट की है।

मिल्खा सिंह का अंतिम संस्कार आज शाम 5 बजे चंडीगढ़ के सेक्टर 25 स्थित श्मशान घाट में किया जाएगा। अंतिम दर्शन के लिए आज 3 बजे उनका पार्थिव शरीर उनके सेक्टर 8 सिथित घर पर रखा जाएगा। 

इसी हफ्ते मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह का देहांत भी कोरोना की वजह से हो गया था। मिल्खा सिंह कोरोना संक्रमित होने के कारण पत्नी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके। निर्मल मिल्खा सिंह 85 वर्ष की थीं।

मिल्खा सिंह का जन्म साल 1929 में पाकिस्तान के मुजफरगढ़ के गोविंदपुरा में हुआ था। भारत-पाक बंटवारे के दौरान हिंसा में उन्होंने 14 में से आठ भाई बहनों और माता-पिता को खो दिया। 

बंटवारे के बाद मिल्खा सिंह भारत आ गए और सेना में शामिल हुए। जिसके बाद एक क्रॉस-कंट्री रेस ने उनके प्रभावशाली करियर की नींव रखी। 

क्रॉस-कंट्री रेस में 400 से अधिक सैनिक शामिल थे और मिल्खा सिंह उन्हें छठा स्थान हासिल हुआ। इसके बाद उन्हें ट्रेनिंग के लिए चुना गया। उन्होंने तीन ओलंपिक 1956 मेलबर्न, 1960 रोम और 1964 टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने हिस्सा लिया।

उन्होंने 1958 में हुए एशियन गेम्स में 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इसके बाद 1958 के कार्डिफ कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने भारत को गोल्ड दिलाया। इसके बाद कॉमनवेल्थ गेम्स में एथलेटिक्स का गोल्ड जीतने में दूसरे भारतीय खिलाड़ी को 52 साल लग गए।

2014 तक कॉमनवेल्थ गेम्स में वे इकलौते भारतीय एथलीट गोल्ड मेडलिस्ट (पुरुष) थे। 1959 में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।










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