DN Exclusive: फतेहपुर में शौचालय निर्माण में बड़ा घोटाला.. टैंक बिना बने शौचालयों में लकड़ी और कबाड़

डीएन संवाददाता

हाल ही में फतेहपुर के हसनापुरा सानी गांव ने देश भर में सुर्खियां बटोरी थी, जिलाधिकारी आंजनेय कुमार जिले के हर गांव को हसनापुरा की तरह खुले में शौच मुक्त बनाने में जुटे हैं, लेकिन कुछ गलत लोगों के कारण प्रशासन के इस प्लान को पलीता लगाया जा रहा है। डाइनामाइट न्यूज़ की एक खास तहकीकात में यहां शौचालय निर्माण में बड़ी अनियमितता और घोटालेबाजी उजागर हुई है..



फतेहपुर: सीएम योगी ने हाल ही में जिले के हसनापुरा सानी गांव को खुले में शौच मुक्त होने की घोषणा करके पूरे सूबे और देश में जिले को नई पहचान दिलाई। निसंदेह ही, इस उपलब्धि का श्रेय जिलाधिकारी आंजनेय कुमार को भी जाता है, जो जिले में अविराम स्वच्छता अभियान चलाये हुए है और जनता को जागरूक बनाने में जुटे हुए है। लेकिन कई स्थानों पर इस योजना को अमलीजामा पहनाने में लगे लोग ही प्रशासन के इस मिशन को पटरी से उतार रहे है। आलम यह है कि कई जगहों पर स्वच्छता अभियान के तहत बनने वाले शौचालयों के निर्माण में भारी घपलेबाजी करके प्रशासन और सरकार की आंखों में धूल झोंकी जा रही है।

 

 

जनता संग धोखाबाजी और सरकारी धन का दुरुपयोग

ताजा मामला जिले के विकास खंड अमौली ग्राम पंचायत दामोदरपुर के मधिहाखेडा गांव का है, जहां शौचालय निर्माण में भारी अनियमितताएं और घोटालेबाजी सामने आयी है। लोगों की शिकायत पर जब डाइनामाइट न्यूज़ ने इन शौचालयों की पड़ताल की तो, कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये। शौचालय निर्माण के नाम पर यहां की जनता के साथ खुलेआम धोखाबाजी और सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग किया गया है।

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शौचालय बने कबाड़खाने 

डाइनामाइट न्यूज़ टीम ने जब गांव में पहुंचकर बाहर से जर्जर नजर आ रहे इन बंद शौचालयों को खुलवाया तो सभी शौचालय कबाड़खाने की तरह नजर आये। लगभग सभी शौचालयों का उपयोग ग्रामीणों द्वारा लकड़ियों और कबाड़ को रखने के लिये किया जा रहा है। शौचालय अंदर औऱ बाहर दोनों तरफ से जर्जर हो चुके है।

 

शौच नहीं, कबाड़ रखने के लिये हो रहा शौचलयों का इस्तेमाल 

खानापूर्ति कर सरकारी आंकड़ों में भी खेल

मधिहाखेडा गांव के ग्रामीणों से जब इस बारे में बातचीत की गयी तो उन्होंने बताया कि शौचालयों का निर्माण बिना टैंक या गढ्ढ़ों के किया गया। शौचालयों के नाम पर केवल एक कोठरीनुमा स्ट्रक्चर तैयार किया गया, मल-मूत्र की निकासी और स्टोरेज के लिये शौचालयों के साथ टैंक का निर्माण नहीं कराया गया। ऐसे में स्वाभाविक है कि शौचालय के नाम पर केवल खानापूर्ति की गयी और सरकारी आंकड़ों में गांव में शौचालय दर्शाने के लिये ऐसे नंदनीय काम किये गये। ग्रामीणों का भी मानना है कि यह मामला केवल खानापूर्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी धन के दुरूपयोग और शौचालय निर्माण में घोटालेबाजी का मामला है। 

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ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी पर घोटाले का आरोप 

गांव के लोग इसके लिये ग्राम प्रधान रूद्र पाल सिंह व ग्राम विकास अधिकारी बृजेश वर्मा को जिम्मेदार मानते है, जो इन शौचालयों के निर्माण के सर्वेसर्वा रहे हैं। लोगों का आरोप है कि प्रधान ने कहा कि पैसा नहीं मिलेगा और वे ही खुद शौचालय बनवाएंगे। लोगों ने जब बिना टैंक के शौचालय की शिकायत की तो ग्राम प्रधान ने कहा कि शौचालय इसी तरीके से बनेंगे, जिसे बनवाना हो तो बनवाए, वरना बाद में नहीं बनाएं जाएंगे। मधिहाखेडा गांव के लोगों में ग्राम प्रधान और वीडीओ के खिलाफ बड़ा आक्रोश देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि ऐसा काम केवल इनके गांव में ही नहीं बल्कि आस-पास के गांवों में भी किया गया है। 

दोषियों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई 

इस मामले में खंड विकास अधिकारी अजय कुमार पांडे ने डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में इस मामले पर हैरानी जताते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी और जल्द ही इन सभी शौचालयों को चालू हालत में लाने के प्रयास किए जाएंगे। 










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