सावन स्पेशल: फतेहपुर के तांबेश्वर मंदिर से डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
डाइनामाइट न्यूज़ से खास बातचीत में फतेहपुर तांबेश्वर मंदिर के पुजारी ने बताया कि शिव की पूजा सावन में ही क्यों करते है। जानने के लिए पढ़िये ये रिपोर्ट।
फतेहपुर: सोमवार से श्रवण का महीना शुरू हो गया है। सावन के शुरू होते ही चातुर्माष भी प्रारंभ हो जाता है।श्रावण, भाद्र पद, अश्विन, और कार्तिक माष के महीनों को चातुर्माष के नाम से जाना जाता है।इसमे सबसे महत्वपूर्ण महीना सावन का है। जिसमे शिव जी का विशेष पूजन और अर्चन किया जाता है। शास्त्र और पुराणों की माने तो भगवान शिव से वरदान प्राप्त करने के लिए श्रवण माष सबसे उत्तम महीना है। जप, ध्यान, तपस्या और मंत्रोच्चारण से शिव जी को प्रसन्न किया जा सकता।
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डाइनामाइट न्यूज़ से खास बातचीत में फतेहपुर तांबेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी पं0 राघवेंद्र पांडेय ने बताया कि शिव की पूजा सावन में ही क्यों करते है ? इसके महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि इसी महीने समुद्र मंथन हुआ था जिससे हलाहल विष निकला था जिसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था और उस विष की ऊष्णता को कम करने के लिए जल, गंगाजल, दूध से अभिषेक किया जाता है। सोमवार शिव का दिन है जिसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस श्रावण माष पांच सोमवार है जो कि अत्यंत दुर्लभ होते है।
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चातुर्माष का विशेष महत्व
सावन के प्रारंभ होते ही चातुर्माष का महीने भी प्रारंभ हो जाता है। जिसके बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते। इन चार महीने जप,तप, पूजन ही किया जाता है।
कुंडली के दोष का निवारण
यदि आप की कुंडली मे किसी प्रकार का दोष है। राहु आप को पीड़ित कर रहा है, ग्रहण दोष है तो इस महीने उनका निवारण किया जा सकता है।
वैवाहिक जीवन के लिए
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अगर आपका विवाह ना हो रहा हो या फिर आपका वैवाहिक जीवन सुखमय ना हो तो शिव और पार्वती की श्रावण माष में संयुक्त पूजा करने से बाधाएं दूर होती है।
सावन के शनिवार का महत्व
जितना सावन के सोमवार का महत्व है उतना ही सावन के शनिवार का महत्व है। सावन के महीने में पड़ने वाले शनिवार को सम्पत शनिवार कहा जाता है। जिसमे शनि की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
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