पुरातनकालीन काशी विश्वनाथ मंदिर के सौंदर्यीकरण के नाम पर लोगों का विस्थापन अन्यायपूर्णः महंत तिवारी

डीएन संवाददाता

देवरिया में गौ पूजन के लिये विशेषतौर पर आमंत्रित काशी के पुरातनकालीन बाबा विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी का कहना है कि काशी के इस प्राचीन मंदिर का सौंदर्यीकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट हैं लेकिन सौंदर्यीकरण के नाम पर लोगों का यहां से विस्थापन न्यायसंगत नहीं हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट



देवरियाः नोनापार में गौ पूजन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे काशी के पुरातनकालीन प्राचीन ऐतिहासिक बाबा विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने यहां पूरे विधि-विधान से गौ पूजन किया। इस दौरान काशी के प्राचीन मंदिर को लेकर डाइनामाइट न्यूज़ से विशेष बातचीत में महंत तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित इस प्राचीन बाबा विश्वनाथ मंदिर के सौंदर्यीकरण पर खुशी जाहिर की। लेकिन उन्होंने मंदिर को लेकर प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट पर विस्तार से बातचीत करते हुये मंदिर के आस-पास रह रहे लोगों को विस्थापन और सरकार द्वारा स्थानीय लोगों को मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिये जहां पर ये लोग सदियों से अपने पुरखों की जमीनों पर रहते हुये आये हैं।         

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उन्हें रास्तों के चौड़ीकरण को लेकर यहां से हटाने और लोगों की इच्छा अनुरूप में उन्हें तय मुआवजा नहीं दिये जाने पर चिंता जाहिर की है। महंत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का ये सपना है कि काशी की नगरी में स्थित इस प्राचीन मंदिर को देश-दुनिया से यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु एक नये अलौकिक रूप में देखें और बाबा विश्वनाथ का उनका आशीर्वाद मिल सके। यहां भक्तों की अटूट आस्था हैं, एक पौराणिक मान्यता के अनुसार बाबा विश्वनाथ की जटा में स्वयं मां गंगा बिराजमान हैं। इस ड्रीम पोजेक्ट के अनुरूप जो कार्य किया जा रहा है उसके पूरा होने के बाद काशी के इस प्राचीन मंदिर से पावन गंगा मां के दर्शन के लिये आने वाले श्रद्धालुओं को भगवान विश्वनाथ और मां गंगा के भी दर्शन होंगे।      

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प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर बताते महंत

 

मंदिर से गंगा की निर्मल धारा साफ दिखाई देगी। लेकिन इसके लिये जो यहां संकरी गलियां हैं उनको तोड़ा जा रहा है। यहीं नहीं इस रास्ते पर जो भी घर आ रहे हैं उनको भी तोड़ा जा रहा है इसके लिये यहां रह रहे लोगों को जो सरकार मुआवजा दे रही है वह कहीं से भी पर्याप्त नहीं हैं। विदेशों में पौराणिक चीजों को संरक्षित करने के लिये वहां की सरकारें न सिर्फ इसका संरक्षण करती हैं बल्कि ऐसी जगहों के आस-पास रह रहे लोगों को इससे कोई परेशानी न हो इसके लिये ठोस कदम उठाती है जिससे की उनका यहां से विस्थापन न हो सके। 

वहीं इसके ठीक उलट काशी में न सिर्फ सदियों से रह रहे लोगों को यहां से विस्थापित किया जा रहा है बल्कि बाबा विश्वनाथ का यह मंदिर जो यहां की संकरी गलियों के कारण विश्वविख्यात हैं और मंदिर में चढ़ने वाले फल-फूल और प्रसाद समेत पूजा सामग्री की जो दुकानें यहां पर कई सालों से चली हुई आई हैं सौंदर्यीकरण के नाम पर इन दुकानदारों की भी रोजी-रोटी पर संकट आन पड़ा है। यहीं नहीं यह पर्यावरण की दृष्टि से भी कहीं सार्थक नजर नहीं आ रहा हैं।       

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सौंदर्यीकरण ठीक पर विस्थापन अन्यायपूर्ण

 

क्योंकि जब आंधी-तूफान आयेगा तब गंगा नदी से चलने वाली तेज हवाओं के कारण यहां टूटे-फूटे रास्तों से जो धूल उड़ेगी उससे न सिर्फ मंदिर को नुक्सान पहुंचेगा बल्कि इससे कई दूसरी तरह की भी परेशानियां बढ़ेंगी। महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने डाइनामाइट न्यूज़ से कहा कि सरकार को चाहिये कि यहां सौंदर्यीकरण तो ठीक हैं लेकिन लोगों का जो विस्थापन हो रहा हैं और इससे यहां के दुकानदारों का जो रोजगार छिन रहा है इस पर सरकार को कोई सार्थक रणनीति बनाकर इन्हें हो रहे नुक्सान की चिंता करनी चाहिये और मंदिर और स्थानीय निवासियों के लिये बेहतर कदम उठाना चाहिये।    










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