बलरामपुर: कैसे पढ़ेंगी बेटियां..हैंड ओवर से पहले ही खंडहर में तब्दील हुआ कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय

डीएन संवाददाता

कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय हैंड ओवर होने से पहले ही खंडहर में तब्दील हो गया है। कार्यदायी संस्था द्वारा स्कूल के निर्माण में मानकों की जमकर अनदेखी की गयी, लाखों रूपयों के वारे-न्यारे किये गये, लेकिन जिम्मदारों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। स्कूल के खंडहर में तब्दील होने से बेटियां किराये के भवन में पढ़ रही है। एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..

खंडहर में बना विद्यालय
खंडहर में बना विद्यालय


बलरामपुर: शिवपुरा विकास खंड में लगभग 36 लाख रूपयो की लागत से  बना कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय विभागीय खेल का शिकार हो गया है। इसमें सरकारी धन का जमकर दुरूपयोग किया गया लेकिन आज तक जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाही न हो सकी। हालत यह है कि हैंड ओवर होने से पहले ही यह विद्यालय खंडहर में तब्दील हो गया है। विद्यालय की हालत ऐसी है कि दिन के उजाले में भी लोग वहां जाने में डरते है।

 

 

सूत्रों के मुताबिक 2008-09 में बनाए गए भवन की लागत लगभग 36 लाख रूपए थी। इस भवन के निर्माण की जिम्मेदारी यूपीआईएल कार्यदायी संस्था को दी गई थी। भवन निर्माण में कार्यदायी संस्था के ठेकेदारों ने मानकों की घोर अनदेखी की गयी और आधा-अधूरा निर्माण करावाकर चंपत हो गए। इस मामले में सरकारी का धन जमकर दुरूपयोग हुआ, लेकिन कार्रवाई आज भी शून्य है।

 

 

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भूत बंगले से कम नही केजीबीवी विद्यालय

लाखों की लागत से बने कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की स्थिति वर्तमान समय में किसी भूत बंगले से कम नहीं है। शिवपुरा बीआरसी प्रांगण में ही बने इस भवन में कोई दिन में भी नहीं जाना चाहता है। डाइनामाइट न्यूज टीम ने जब स्कूल के इस भवन की पड़ताल की तो कआ चौंकाने वाली चीजें सामने आयी। विद्यालय भवन में पसरे सन्नाटे में जब कबतूरों और अन्य जीवों की आवाजें आती है तो यह भवन किसी भूतिया महल से कम नहीं लगता है।

 

भगवान भरोसे खड़ा है भवन

डाइनामाइट न्यूज टीम को भवन निर्माण में सरकारी धन के बंदर बांट की हकीकत भी नजर आयी। भवन कब गिर जाए, यह कोई नही कह सकता। प्रवेश द्वार पर लगा क्षतिग्रस्त गेट विद्यालय की स्थिति को बयां करता है। भवन की छत काफी कमजोर है, जो कस्तूरबा की 100 बेटियों के रहने योग्य नहीं है। यहां शौचालय की सीट तक नहीं लगाई गई। वाश बेसिन, पंखे, विद्युतीकरण भी कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गया। संचालन व हैंड ओवर के पहले ही विद्यालय भवन जर्जर होकर झाड़ झंखाड से पटा हुआ है।

 

 

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तत्कालीन डीएम ने दिए थे कार्रवाई के आदेश

भवन निर्माण के समय में जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने भवन निर्माण का निरीक्षण कर मामले को गंभीरता से लिया था। डीएम के निरीक्षण में एक फावड़ा मारते ही छतों व दीवारों का प्लास्टर भरभरा के गिरने लगा था। जिसके बाद डीएम ने कार्यदायी संस्था पर एफआईआर भी दर्ज करवायी थी लेकिन डीएम के स्थानांनतरण के साथ ही विभागीय साठ-गांठ के चलते कार्यदायी संस्था बची रही। डीएम प्रज्ञान राम मिश्र ने भी जिले की कमान संभालने के बाद विद्यालय के भवन की जांच स्वंय की थी। मानक व गुणवत्ता की जांच में डीएम ने कार्यदायी संस्था के ठेकेदार के विरूद्ध कठोर कार्रवाई का आदेश भी दिया था। लेकिन अधिकारियों के स्थानांतरण के साथ ही आदेशों की फाइलें विभागीय अंधकार में गुम हो जाती है।

उधारी के भवन में शिक्षा ले रही बेटियां

निजी बिल्डिंग बनने के वर्षों बाद भी विकास खंड शिवपुरा की बेटियां उधारी के भवन में पढ़ने के लिए विवश है। आज भी बालिकाएं एक उधारी भवन में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है। अगर उधारी के भवन की बाते करें तो उसकी हालात भी सही नहीं है। बरसात के महीने में भवन जगह-जगह से टपकता है और पूरे प्रांगण में  जल भराव हो जाता है। जो बेटियों सहित स्टाफ के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।

जिले की शिक्षा व्यवस्था पर ग्रहण

उत्तर प्रदेश की सरकार भले ही शिक्षा लेकर गंभीर हो, लेकिन जिले का बेसिक शिक्षा महकमा आंखें मूंदा हुआ है। कार्रवाई के नाम पर केवल सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को निशाना बनाया जाता है। कस्तूरबा विद्यालय के जर्जर भवन कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकता है। बरसात के माह में निजी भवनों में संचालित स्कूलों की हालत काफी खराब है। सारे भवन बारिश के दौरान टपकते है। कुछ भवन नियम कानून को ताक पर रखकर ऐसे जगहों पर बनवाए गए है, जो बरसात के दिनों में टापू नजर आते है।

जिम्मेदार के बोल..

जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में है। जिला प्रशासन शिक्षा व्यवस्था को लेकर कड़ा रूख अपना रहा है। मामला पुराना है, फाइलों का अध्यन किया जा रहा है, शीघ्र ही इस दिशा में कठोर कार्रवाई की जाएगी। 
 










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