Women Safety in Delhi: दिल्ली के संवेदनशील इलाकों में लगाए गए 6630 कैमरे, पढ़ें पूरी डिटेल
दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत करने के उपायों के तहत राष्ट्रीय राजधानी के संवेदनशील इलाकों में 6630 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत करने के उपायों के तहत राष्ट्रीय राजधानी के संवेदनशील इलाकों में 6630 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ को बताया कि इन सीसीटीवी कैमरों की निगरानी 50 मुख्य नियंत्रण कक्ष में की जाती है।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को संकट में फंसी महिलाओं की मदद के लिए उन खंभों पर ‘पैनिक बटन’ लगाने के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए समय दिया, जिन पर ये कैमरे लगाए गए हैं।
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अदालत 16 दिसंबर, 2012 को चलती बस में 23 वर्षीय युवती से सामूहिक बलात्कार की भयावह घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर 2012 में स्वत: संज्ञान ली गई जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कुछ दिनों बाद घायल युवती ने दम तोड़ दिया था।
इस मामले में अदालत का सहयोग करने के लिए ‘न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी)’ नियुक्त की गईं वकील मीरा भाटिया ने सुझाव दिया कि सीसीटीवी कैमरों वाले खंभों पर ‘पैनिक बटन’ लगाए जाएं ताकि संकट में फंसी कोई भी महिला मुख्य नियंत्रण कक्ष में मौजूद कर्मियों को सचेत कर सके।
दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल ने कहा कि अधिकारी निश्चित रूप से प्रस्ताव पर विचार करेंगे और अदालत से उन्हें कुछ समय देने का आग्रह किया। पीठ ने शहर पुलिस को चार सप्ताह का समय दिया और मामले को छह अक्टूबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
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उच्च न्यायालय ने पूर्व में पुलिस को दिल्ली के संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए ‘‘तत्काल कदम’’ उठाने का निर्देश देते हुए कहा था कि इससे अपराध पर अंकुश लगाने और महिलाओं को सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी।
अदालत समय-समय पर राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस अधिकारियों की संख्या बढ़ाने, थानों के साथ-साथ संवेदनशील या अपराध संभावित क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) में नमूनों के परीक्षण में देरी को कम करने और यौन उत्पीड़न के पीड़ितों को मुआवजे का शीघ्र वितरण सुनिश्चित करने के संबंध में निर्देश जारी करती रही है।