हमें जिम्मेदारी के साथ परंपराओं को संरक्षित करना है

डीएन ब्यूरो

नौ साल के अंतराल के बाद मंगलवार को असम में ‘माघ बिहू’ उत्सव के तहत पारंपरिक ‘मोह जुज’ (भैंसों की लड़ाई) का आयोजन किया गया और मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मोरीगांव जिले के अहोटगुड़ी में यह कार्यक्रम देखा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

हिमंत विश्व शर्मा
हिमंत विश्व शर्मा


गुवाहाटी: नौ साल के अंतराल के बाद मंगलवार को असम में ‘माघ बिहू’ उत्सव के तहत पारंपरिक ‘मोह जुज’ (भैंसों की लड़ाई) का आयोजन किया गया और मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मोरीगांव जिले के अहोटगुड़ी में यह कार्यक्रम देखा।

अहोम शासन के बाद से फसल उत्सव माघ या भोगाली बिहू के दौरान अहोटगुड़ी और शिवसागर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में भैंसों की लड़ाई का आयोजन किया जाता है।

उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद 2014 में इसे बंद कर दिया गया था। न्यायालय ने जानवरों को लगने वाली चोटों के कारण ऐसी प्रथाओं को बंद करने का आदेश दिया था।

भैंसों की लड़ाई के अलावा, बुलबुल पक्षी की लड़ाई भी पारंपरिक माघ बिहू उत्सव का हिस्सा है और उस अवधि के दौरान वह भी निलंबित कर दी गई थी।

राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के अनुपालन में इस वर्ष दोनों आयोजन फिर से शुरू हुए। बुलबुल पक्षी की ‘लड़ाई’ परंपरा के अनुसार मकर संक्रांति के अवसर पर सोमवार को आयोजित की गई।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शर्मा ने अहोटगुड़ी में कहा, “राज्य में आठ-नौ साल बाद बुलबुली (बुलबुल पक्षी) और 'मोह जुज' हो रहा है। और यह गर्व की बात है कि मैं इन्हें दोबारा देख रहा हूं।”

उन्होंने कहा, “उच्चतम न्यायालय के 2014 के आदेश ने इनके आयोजन पर रोक लगा दी थी, लेकिन हम बहुत खुशी के साथ अपने पारंपरिक आयोजन को फिर से शुरू कर रहे हैं। मैं आयोजकों और भैंसा मालिकों से एसओपी का पालन करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता हूं कि जानवरों को कोई नुकसान न हो।”

शर्मा ने कहा, “अपनी विरासत को संरक्षित करना और उसे जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ाना हमारा कर्तव्य है।”

 










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