पोलियो के दो नये टीके इस विषाणु जनित रोग के उन्मूलन के लिए विकसित किये गए

वैज्ञानिकों ने पोलियो के दो नये टीके (एनओपीवी) विकसित किये हैं, जिनके बारे में उनका दावा है कि वे इस विषाणु जनित रोग का पूरी तरह से उन्मूलन करने की दिशा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के हालिया प्रयासों को मजबूत करेंगे। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 15 June 2023, 7:04 PM IST
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नयी दिल्ली: वैज्ञानिकों ने पोलियो के दो नये टीके (एनओपीवी) विकसित किये हैं, जिनके बारे में उनका दावा है कि वे इस विषाणु जनित रोग का पूरी तरह से उन्मूलन करने की दिशा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के हालिया प्रयासों को मजबूत करेंगे।

नेचर पत्रिका में हाल में इन टीकों का उल्लेख किया गया है। वे कमजोर पड़ चुके पोलियो वायरस से निर्मित हैं, जिनमें वायरस को खतरनाक स्वरूप में पुन:परिवर्तित होने से रोकने के लिए आनुवंशिकी बदलाव किये गये हैं।

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्राध्यापक राउल एंडिनो ने कहा, ‘‘देशों के अंदर और उनके बीच टीकाकरण में इस तरह की भिन्नता के कारण पोलियो वायरस 21वीं सदी में भी मौजूद है, जो कभी-कभी दुखद नतीजे देता है।’’

शोध पत्र में कहा गया है, ‘‘कई वर्षों तक पोलियो से लड़ने से सीखे गये सबक का उपयोग कर हमने ये नये टीके विकसित किये हैं और हमारा मानना है कि वे इस रोग का सदा के लिए उन्मूलन कर देंगे।’’

पोलियो आमतौर पर बगैर लक्षणों वाला होता है।

पोलियो का पहला प्रभावकारी टीका 1950 के दशक में विकसित किया गया था, जिसके साथ प्रत्येक व्यक्ति का टीकाकरण करने का व्यापक अभियान शुरू किया गया, जिसमें बच्चों का टीकाकरण करने पर विशेष रूप से जोर दिया गया।

मूल, या ‘वाइल्डटाइप’ पोलियो वायरस हाल में अफगानिस्तान और पाकिस्तान में पाया गया था, जबकि टीके से उत्पन्न पोलियो के मामले सीरिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और अमेरिका में सामने आये हैं।

शोधार्थियों ने कहा कि हाल के वर्षों में ‘वाइल्डटाइप’ की तुलना में टीके से उत्पन्न पोलियो के अधिक मामले सामने आये हैं। इससे, पोलियो के इस नये स्रोत का मुकाबला करने की तात्कालिकता पैदा हो गई है।

इन एनओपीवी2 टीकों को डब्ल्यूएचओ की प्रथम आपात उपयोग मंजूरी प्रदान करते हुए 2020 में सूचीबद्ध किया गया था और शीघ्रता से इनका उत्पादन व वितरण किया गया।

एंडिनो ने कहा, ‘‘28 से अधिक देशों में 60 करोड़ से अधिक खुराक दी गई। इसने हमें यह विश्वास दिलाया कि यह कारगर हो रहा है।’’

इसकी प्रभावकारिता के बावजूद, एनओपीवी2 टीकों ने पोलियो के तीन स्वरूपों में से केवल एक के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान किया, और इजराइल में हाल में पोलियो के मामले सामने आये, जहां व्यापक रूप से टीकाकरण हुआ है। साथ ही, अमेरिका के कुछ इलाकों में भी इसके मामले सामने आये, जहां लोगों ने अपने बच्चों का टीकाकरण कराने से इनकार कर दिया।

एंडिनो ने कहा, ‘‘यदि पोलियो कहीं भी रहेगा तो वह वहां वापस आ जाएगा, जहां टीकाकरण में अंतराल है।’’

दोनों नये टीकों का अभी क्लिनिकल परीक्षण किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे दोनों प्रभावकारी हों और मानव में खतरनाक स्वरूपों में तब्दील ना हो जाएं।

एंडिनो ने कहा, ‘‘यह सोचना कि पोलियो खत्म हो गया, एक खतरनाक धारणा है। उदाहरण के तौर पर अकेले भारत में ही हर सप्ताह 50,000 बच्चों का जन्म होता है। हमारे पास अब वह चीज है जो उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी है।’’

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