पर्यावरणीय अपराधों पर सामने आई ये नई रिपोर्ट, कई बड़ें खुलासे, पढ़ें पूरी खबर

गैर-लाभकारी अनुसंधान संगठन ‘‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट’’ की एक नयी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अदालतों ने 2021 में प्रति दिन पर्यावरण संबंधी अपराध के 130 मामलों का निपटारा किया और लंबित मामलों के निस्तारण के लिए उन्हें अपनी गति दोगुनी करने की जरूरत है।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 25 March 2023, 7:05 PM IST
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नयी दिल्ली: गैर-लाभकारी अनुसंधान संगठन ‘‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट’’ की एक नयी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अदालतों ने 2021 में प्रति दिन पर्यावरण संबंधी अपराध के 130 मामलों का निपटारा किया और लंबित मामलों के निस्तारण के लिए उन्हें अपनी गति दोगुनी करने की जरूरत है।

‘‘पर्यावरण संबंधी भारतीय रिपोर्ट’’ बृहस्पतिवार को जारी की गई। इसमें कहा गया है कि अदालतों ने 2021 में 47,316 मामलों (प्रतिदिन करीब 130 मामले) का निपटारा किया लेकिन उसके बाद भी साल के अंत तक 89,305 मामले लंबित थे। रिपोर्ट के अनुसार लंबित मामलों के निपटारे के लिए उन्हें उन्हें एक दिन में 245 मामलों को निपटाने की जरूरत है।

इसमें कहा गया है कि 2020 से 2021 के बीच देश में पर्यावरणीय अपराधों की संख्या में चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन मामलों के निपटारे की दर आवश्यकता से कम है, जिससे लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

‘‘थिंक टैंक’’ ने कहा कि भारत में 2021 में 64,471 पर्यावरण संबंधी अपराध दर्ज किए गए वहीं 59,220 मामलों में सुनवाई शुरु हुई। इस प्रकार विचाराधीन मामलों की कुल संख्या 1,36,621 हो गई। इनमें 77,401 मामले 2020 से लंबित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय वन अधिनियम, 1927 और वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत दर्ज लगभग 19,000 मामले लंबित हैं और मौजूदा दर से इन मामलों का निपटारा करने में अदालतों को 14 साल 11 महीने लगेंगे।

इसमें कहा गया है कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत लगभग 2,000 मामले लंबित हैं और मौजूदा दर से उनके निपटारे में करीब 38 साल और 9 महीने लगेंगे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत लगभग 3,750 मामले लंबित हैं और मौजूदा दर से उन्हें निपटाने में 12 वर्ष लगेंगे।