हर घर जल मिशन की टंकी बनी सफेद हाथी, एक साल बाद भी नहीं पहुंचा पानी

डीएन संवाददाता

हर घर जल मिशन को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। इस मिशन के बाद भी कुछ लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

जल जीवन मिशन का बोर्ड
जल जीवन मिशन का बोर्ड


बाराबंकी: देवा विकास खंड की ग्राम पंचायत अटवटमऊ में 'हर घर जल' जल जीवन मिशन के तहत बनी पानी की टंकी अब सफेद हाथी साबित हो रही है। यह टंकी 6 जनवरी 2023 को बननी शुरू हुई थी और 5 जनवरी 2024 को फाइनल होकर खड़ी हो गई थी। लेकिन टंकी बनने के एक साल बाद भी ग्रामीणों को एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हुआ।

ग्रामीणों की उम्मीदें धूमिल 

ग्राम पंचायत अटवटमऊ मजरा पलटा में अभी तक नल नहीं लग पाया है और न ही पाइप लाइन सुचारू रूप से बिछाई जा सकी है। दूर से ही इस टंकी को देखकर ग्रामीण निराश हो जाते हैं। बुजुर्ग अभी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद कभी नल से पानी निकल आए। लेकिन फिलहाल यह टंकी शोपीस बनकर खड़ी है।

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प्रोजेक्ट मैनेजर और ठेकेदार की लापरवाही

इस टंकी का निर्माण कार्यदायी संस्था पी.एन.एस.पी.एम.एल. (जी.वी.) आगरा ने प्रोजेक्ट मैनेजर विजय कटियार के निर्देशन में कराया था। यह परियोजना नमामि गंगे और उत्तर प्रदेश सरकार के ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के अंतर्गत क्रियान्वित की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मिशन को 'ड्रीम प्रोजेक्ट' बताते हुए हर घर तक पानी पहुंचाने का संकल्प लिया था, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है।

विभागीय अड़चन बनी बाधा

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जूनियर इंजीनियर मनोज कुमार ने बताया कि टंकी का निर्माण पूरा हो चुका है और बोरिंग व पंप मशीन का ट्रायल भी हो चुका है। लेकिन वन विभाग से अनुमति न मिलने के कारण ग्रामीणों को पानी नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने दावा किया कि अनुमति मिलते ही जलापूर्ति शुरू कर दी जाएगी।

ग्रामीणों में नाराजगी, सरकार से की अपील

गांव के लोग सरकार और प्रशासन से जल्द से जल्द जलापूर्ति शुरू करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर यह टंकी सिर्फ दिखावे के लिए है तो इसका निर्माण क्यों कराया गया? सरकार को इसे जल्द शुरू करना चाहिए ताकि हर घर को पानी मिल सके और हर घर जल योजना का लाभ सही मायनों में लोगों तक पहुंच सके। अब देखना यह है कि प्रशासन अपनी सुस्ती दूर कर इस टंकी को शुरू करने में कितना समय लगाता है या फिर यह टंकी ऐसे ही सफेद हाथी बनकर रह जाएगी।










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