सुप्रीम कोर्ट ने औद्योगिक न्यायाधिकरणों में रिक्तियों के आरोप पर केंद्र से मांगा जवाब, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को ‘केंद्र सरकार औद्योगिक न्यायाधिकरण सह श्रम अदालतों’ (सीजीआईटी-कम-एलसी) में खाली पड़े पदों को भरने के लिए निर्देश देने का अनुरोध कर रही एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)


नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को ‘केंद्र सरकार औद्योगिक न्यायाधिकरण सह श्रम अदालतों’ (सीजीआईटी-कम-एलसी) में खाली पड़े पदों को भरने के लिए निर्देश देने का अनुरोध कर रही एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने श्रम कानून संघ (एलएलए) की अपील पर संज्ञान लिया है। अपील में कहा गया है कि 22 न्यायाधिकरणों में से नौ में पीठासीन अधिकारियों के पद खाली पड़े हैं और वर्ष 2023 में तीन और न्यायाधिकरणों में पद खाली होने की संभावना है।

एलएलए की ओर से पेश वकील ने कहा कि एक न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारियों में से एक का पद बुधवार को खाली होने वाला है।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने कहा, ''आप हमारे पास इतने विलंब से क्यों आए हैं। अधिकारी पांच जुलाई को सेवानिवृत हो रहे हैं। याचिका को सोमवार के लिए सूचीबद्ध करें। अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल (एएसजी) बलबीर सिंह को याचिका की प्रति भेजें। हम किसी न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने का एकतरफा आदेश पारित नहीं कर सकते।''

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि प्रशासनिक दृष्टि से, न्यायाधिकरणों में पदों को भरने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए उन्होंने शायद उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश को नामित किया है।

देश में 22 ‘केंद्र सरकार औद्योगिक न्यायाधिकरण सह श्रम अदालतें’ (सीजीआईटी-कम-एलसी) हैं और इन्हें केंद्रीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले औद्योगिक विवादों के निपटारे के लिए वर्ष 1947 के औद्योगिक विवाद अधिनियम के प्रावधानों के तहत स्थापित किया गया था।










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