Road Safety: सड़क सुरक्षा संबंधी इन फैसलों की जानकारी दी गई सुप्रीम कोर्ट को, जानिये क्या रही सरकार

डीएन ब्यूरो

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए.एम. सप्रे की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक में 15 राज्यों ने हिस्सा लिया और समिति को सड़क सुरक्षा के संबंध में उठाए गए कदमों से अवगत कराया। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)


नयी दिल्ली: केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए.एम. सप्रे की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक में 15 राज्यों ने हिस्सा लिया और समिति को सड़क सुरक्षा के संबंध में उठाए गए कदमों से अवगत कराया।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ को सूचित किया गया कि केंद्र और राज्यों सहित विभिन्न हितधारकों ने 15 मार्च को बैठक में भाग लिया।

पीठ ने अपने आदेश में उल्लेख किया, ‘‘बैठक के विवरण के मुताबिक सचिव, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने संकेत दिया है कि मंत्रालय मानकीकरण की कवायद शुरू करेगा तथा ई-वाहन/ई-चालान के साथ सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को एकीकृत करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश लाएगा।’’

पीठ ने कहा, ‘‘मंत्रालय का इरादा हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देशों को मानकीकृत करना है ताकि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 136-ए को लागू करने के तौर-तरीकों के संबंध में पूरे देश में एकरूपता हो।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा है कि बैठक के आधार पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) को देश स्तर पर तौर-तरीकों पर एक अवधारणा पत्र तैयार करने के संबंध में कार्य सौंपने का निर्णय लिया गया।

पीठ ने इस मामले में अदालत का सहयोग कर रहे ‘न्यायमित्र’ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल को सुनवाई की अगली तारीख पर एक अद्यतन स्थिति रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा।

पीठ देश में सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। शीर्ष अदालत ने छह जनवरी को समिति को निर्देश दिया था कि वह राज्यों में सड़क सुरक्षा मानदंडों को लागू करने और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी पर राज्य-विशिष्ट दिशानिर्देश तैयार करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने को लेकर दो सप्ताह के भीतर एक बैठक बुलाए।

पीठ ने सहमति व्यक्त की थी कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 136-ए (सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन) को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। केंद्र ने पूर्व में शीर्ष अदालत को बताया था कि सरकार धारा 136 (2) के तहत पहले ही नियम बना चुकी है। शीर्ष अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सप्रे समिति का गठन किया था।










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