'चौकीदार चोर है' बयान पर सुप्रीम कोर्ट बोला- हमने ऐसा कुछ नहीं कहा, राहुल गांधी को नोटिस भेजकर 22 अप्रैल तक मांगा जवाब
राफेल मामले पर राहुल गांधी अनिल अंबानी को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने को लेकर प्रधानमंत्री पर 'चौकीदार चोर है' की टिप्पणी करते रहे हैं। इसके संबंध में दी गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह साफ करना चाहते हैं कि जो कुछ सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा है वो गलत है। कोर्ट ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है।
नई दिल्ली: चुनावी समर में राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस और भाजपा लगातार आमने-सामने हैं। दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। राहुल गांधी राफेल मामले के सहारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'चौकीदार ही चोर है' कहते रहे हैं।
Rahul Gandhi has to file a reply in Supreme Court before Monday. The Court fixed the matter for further hearing on Monday, April 22. https://t.co/qwEDJxMj86
— ANI (@ANI) April 15, 2019
बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने लीक दस्तावेजों पर पुन: सुनवाई की बात स्वीकार ली थी जिसके बाद कांग्रेस पार्टी के ओर से कहा गया था कि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार ही चोर है। इसी के खिलाफ भाजपा नेत्री मीनाक्षी लेखी ने एक याचिका दायर की है।
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याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने रफाल मामले में पुनर्विचार याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र की प्रारंभिक आपत्ति खारिज करते हुए कहा था कि वह मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेज पर विचार करेगा। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से यह बयान दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि 'चौकीदार चोर' है। जबकि कोर्ट के आदेश में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है इसलिए ये कोर्ट की अवमानना है। इस याचिका को बीते दिनों स्वीकार कर लिया गया था। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि वह याचिका पर 15 अप्रैल सोमवार को सुनवाई करेगी।
आज इस मामले में राहुल गांधी की मुसीबतें बढ़ाते हुए नोटिस जारी करते हुए 22 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है। राहुल गांधी पर सुप्रीम कोर्ट के बयान को गलत तरह से पेश करने का आरोप है।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह साफ करना चाहते हैं कि उत्तरदाता ने जो कुछ सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा है वह गलत है। कोर्ट ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है। हम केवल दस्तावेज की एडमिसिबल्टिी पर फैसला करते हैं। अब मामले में अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।