महराजगंज: बिहार से नेपाल तक अपराधियों के लिए मुफीद बना सिसवा का रेलवे स्टेशन

डीएन संवाददाता

अभी हाल में 90 करोड़ की चरस बरामदगी और बिहार के तस्करों की गिरफ़्तारी हुई है। ऐसे में सिसवा रेलवे स्टेशन अपराधियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज की खास एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

सिसवा रेलवे स्टेशन
सिसवा रेलवे स्टेशन


सिसवा (महराजगंज): अभी दो दिन पूर्व भारत-नेपाल बाॅर्डर पर 8 तस्करों के पास से कुल 90 करोड़ की चरस बरामदगी की गई। ऐसे में ठूठीबारी भारत और नेपाल बाॅर्डर का प्रमुख केंद्र है। बिहार से सिसवा तक रेल की सुविधा का सीधा और प्रत्यक्ष फायदा तस्करों से लेकर अपराधियों को मिल रहा है। डाइनामाइट न्यूज की टीम ने सिसवा बाजार के रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया तो तमाम चौंकाने वाले बिंदु सामने आए। 

पुलिस बल ही नहीं 
सिसवा बाजार रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर आरपीएफ, जीआरपी चौकी ही आज तक स्थापित नहीं की गई हैं। ऐसे में तस्करों और अपराधियों की आवाजाही सीधे सिसवा और बस मार्ग के रास्ते होते हुए ठूठीबारी के रास्ते नेपाल और भारत में हो रही है। 

रेलवे स्टेशन पर कैमरे 
सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशन होने के बावजूद सिसवा के दोनों प्लेटफार्म से लेकर यात्रियों के आने व जाने वाले प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं। 

गतिविधियों से अंजान
न सीसीटीवी कैमरे और तो और जीआरपी सिपाहियों की गस्त रेलवे के प्लेटफार्म पर न होने से यहां की गतिविधियों से जिम्मेदार अंजान रहते हैं। इसका सीधा और भरपूर फायदा अपराधियों और तस्करों को मिल रहा है। 

कुशीनगर और बिहार के तार
22 फरवरी को कुशीनगर और बिहार के 4 तस्करों के पास से 71 किलोग्राम चरस बरामद किया गया था। इसमें 3 बिहार और एक कुशीनगर की निवासी थी। 

इन ट्रेनों की होती है आवाजाही
सिसवा रेलवे स्टेशन पर 4 जोड़ी पैसेंजर, 3 जोड़ी मेल/एक्सप्रेस व एक साप्ताहिक मिलाकर कुल प्रतिदिन 7 जोड़ी रेलगाड़ी इस स्टेशन से होकर गुजरती हैं। यह ट्रेनें बिहार, गोरखपुर, दिल्ली, मुंबई आदि स्थानों को जाती हैं। 

क्या कहते हैं स्टेशन अधीक्षक
इस संबंध में सिसवा रेलवे स्टेशन के अधीक्षक सुनील कुशवाहा ने बताया कि आज तक सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। प्रतिदिन सात जोड़ी मेल-एक्सप्रेस, पैसेंजर ट्रेनों की आवाजाही होती है। जीआरपी और आरपीएफ चौकी नहीं है। 

क्या कहते हैं इंस्पेक्टर आरपीएफ
इस बावत आरपीएफ इंस्पेक्टर, कप्तानगंज समय सिंह ने बताया कि मेरे दो वर्ष के कार्यकाल में तो कभी सिसवा बाजार में कोई आरपीएफ की चौकी नहीं बनी है। 










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