Pitru Paksha 2022: पितृ दोष की मुक्ति के लिए पितृ पक्ष की अमावस्या पर करें ये उपाय, जानिये कैसे मिलेगा लाभ

डीएन ब्यूरो

पितृ दोष होने से पूर्वजों का आशीर्वाद नहीं मिलता है और व्यक्ति को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पितृ पक्ष की अमावस्या पर कुछ उपाय करने से पितृ दोष दूर हो जाता है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

सांकेतिक चित्र
सांकेतिक चित्र


नई दिल्ली: पितृ पक्ष की अमावस्या पर कुछ सरल उपाय करने से पितृ दोष दूर हो जाता है। पितृ अमावस्या 25 सितंबर को है। अमावस्या के दिन विशेष पूजा-अर्चना करके पितृ दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। पितृ दोष दूर करना बहुत जरूरी होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पितृ दोष होने से पूर्वजों का आशीर्वाद नहीं मिलता है और व्यक्ति को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

पितरों के आशीर्वाद से घर में धन-धान्य बना रहता है और कभी किसी तरह का कोई संकट नहीं आता है। लेकिन कुछ गलतियों और खामियों की वजह से पितर नाराज हो जाते हैं और लोगों को पितृ दोष झेलना पड़ता है।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब व्यक्ति की कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवे, सातवें, नौंवे और दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति हो रही है तो माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है। लग्नेश यदि छठे आठवें बारहवें भाव में हो और लग्न में राहु हो तो भी पितृदोष बनता है।

पितृदोष के लिए अमावस्या होती है खास

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पितृदोष शान्ति के लिए मुख्य रुप से तो त्रिपिन्डी श्राद्ध करना होता ही है। लेकिन अगर किसी गरीब व्यक्ति के पास अर्थाभाव है, तो क्या उसका पितृदोष समाप्त कैसे होगा। इस विषय पर हम चर्चा कर रहें है। पितरदोष ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंण्डली से ज्ञात होता है, जिसके कुंण्डली में पितृदोष होता है, वह निःसंन्तान, निर्धन, घर में क्लेश, जन हानि उस घर में पित्र देते हैं। इस पितर दोष से छुटकारा पाने और पितरों की मुक्ति के लिए और उनसे आशिर्वाद प्राप्त हेतु अपना सुखी जीवन व्यतीत के वास्ते पितृअमावस्या को यह कार्य करें।

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अपनाएं ये उपाय

पितृ अमावस्या को प्रदोषकाल में एक शुद्ध होकर देशी गाय का एक दीपक लेकर नदी या तालाब, बावली के तट पर जायें और अपने पितर का ध्यान करके उनका स्मरण करें। इसके बाद शिव जी के पंच्चाक्षरी मन्त्र का 54बार जप करें। फिर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दीपक को जला दें। ध्यान रहे दीपक की लौ भी दक्षिण मुख हो। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और खूब आशिर्वाद भी देते हैं।

अमावस्या के प्रदोष काल में पितर अपने परिवार के द्वारा दिये हुए अन्न को ग्रहण करने के बाद अमावस्या के प्रदोष काल में जलाशय पर जल ग्रहण करने आते हैं और फिर वर्ष के लिए पुनः प्रस्थान करते हैं। ऐसा जो करता है वह और उसका परिवार सदैव सुखी रहता है और पितृदोष से मुक्त हो जाता है।

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