Shardiya Navratri: नवरात्रि के आठवें दिन इस तरह करें मां महागौरी की पूजा, जानिये पूजा के मंत्र और विधि-विधान

डीएन ब्यूरो

नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये मां महागौरी के पूजा-अर्चना की विधि और माता के इस रूप के बारे में

आठवें दिन यानी महाअष्टमी पर मां महागौरी की पूजा
आठवें दिन यानी महाअष्टमी पर मां महागौरी की पूजा


नई दिल्ली: नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। माता महागौरी अन्नपूर्णा का रूप माना जाता है। पुराणों में माँ महागौरी की महिमा का कई तरह से आख्यान किया गया है। ये मनुष्य की वृत्तियों को सत्‌ की ओर प्रेरित करके असत्‌ का विनाश करती हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये महागौरी के बारे में विस्तार से

इसलिये जाना जाता है महागौरी का नाम 

मां की कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए तो उन्होंने मां को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया, जिस कारण इनका काला रंग गौर वर्ण जैसा हो गया। इसके बाद मां पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी के नाम से जाना गया।

असंभव कार्य भी होते हैं संभव

मां महागौरी भक्तों का कष्ट अवश्य ही दूर करती है। इसकी उपासना से अर्तजनों के असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। अतः इसके चरणों की शरण पाने के लिए हमें सर्वविध प्रयत्न करना चाहिए। महागौरी के पूजन से सभी नौ देवियां प्रसन्न होती है।

माता महागौरी की पूजा विधि 
महा अष्टमी के दिन मां दुर्गा को लौंग की माला और लाल गुलाब के फूल की माला जरूर अर्पित करें। ऐसा करने से मां अंबे आपके सभी कष्टों को दूर करके मनोकामना पूरी करेंगी।मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें। मां को भोग भी लगाएं।

लाल रंग की चुनरी

इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। अष्टमी तिथि पर मां अंबे को लाल रंग की चुनरी में सिक्के और बताशे रख कर चढ़ाएं।

महा गौरी को नारियल बेहद पसंद हैं. ऐसे में उन्हें नारियल या नारियल से बनी चीजों का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है.

महागौरी का मंत्र 
1   श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
2   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
3   ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो। क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥ ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम्‌ घ्राणो। कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥

महागौरी का मंदिर 

दक्षिण भारत का सर्वप्रधान शक्तिपीठ है कामाक्षी मंदिर। महागौरी का मंदिर तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम नगर में स्थित है। यहां देवी की अस्थियां या कंकाल गिरा था। जहां पर मां कामाक्षी देवी का भव्य विशाल मंदिर है, जिसमें त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमूर्ति कामाक्षी देवी की प्रतिमा है। यह दक्षिण भारत का सर्वप्रधान शक्तिपीठ ऐकाम्रेश्वर शिवमंदिर से लगभग चौथाई किलोमीटर की दूरी पर है मां कामाक्षी देवी का भव्य मंदिर। इसमें भगवती पार्वती का श्रीविग्रह है, जिसको कामाक्षीदेवी अथवा कामकोटि भी कहते हैं।

भारत के द्वादश प्रधान देवी-विग्रहों में से यह मंदिर एक है। इस मंदिर के पार्श्व में अन्नपूर्णा देवी और शारदादेवी मंदिर हैं।










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