Navratri 2024: नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करे मां शैलपुत्री की पूजा
3 अक्टूबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि का पहला दिन माँ दुर्गा के प्रथम रूप शैलपुत्री को समर्पित होता है। जानें शुभ मुहूर्त, घटस्थापना और पूजा विधि के बारे में। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) की शुरुआत हो रही है। इन दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का पहला दिन माँ दुर्गा के प्रथम रूप शैलपुत्री (Maa Shailputri) को समर्पित होता है। शैलपुत्री हिमालय की पुत्री है। इस दिन व्रत रखने और देवी की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, आश्विन माह में शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है।
शारदीय नवरात्रि 2024 तिथि
पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की शुरुआत 03 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 04 अक्टूबर को देर रात 02 बजकर 58 मिनट पर होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। ऐसे में 03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होगी।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्र में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:15 से 7:12 तक रहेगा। वहीं, अभिजीत मुहूर्त 11:46 से 12:33 तक रहेगा।
नवरात्रि के पहले दिन की पूजा विधि (Puja Vidhi) इस प्रकार है:
1. कलश स्थापना
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- नवरात्रि की पूजा की शुरुआत कलश स्थापना से होती है।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर, उस पर थोड़े चावल रखें।
- एक तांबे या मिट्टी का कलश लें और उसमें गंगाजल भरें। कलश के मुंह पर आम के पत्ते रखें और उसके ऊपर नारियल रखें।
- कलश को चौकी के मध्य में स्थापित करें। यह कलश देवी माँ का प्रतीक होता है।
2. शैलपुत्री की पूजा
- देवी शैलपुत्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- इसके बाद, धूप, दीप, फूल, और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं और देवी माँ का ध्यान करें।
- मंत्र का उच्चारण करें:
“वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥”
इस मंत्र का 108 बार जप करें।
3. सप्तधान्य बोना
नवरात्रि के नौ दिनों के लिए जौ या सप्तधान्य बोना शुभ माना जाता है। कलश के पास मिट्टी की एक छोटी सी परत पर जौ बोएं। इसे देवी माँ की कृपा का प्रतीक माना जाता है।
4. आरती और प्रसाद
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पूजा के बाद माँ शैलपुत्री की आरती करें और भोग लगाएं। प्रसाद के रूप में फल, मिठाई या पंजीरी चढ़ाएं। पूरे दिन उपवास रखें और माँ का स्मरण करें। शाम को देवी की आरती करने के बाद फलाहार कर सकते हैं।
5. ध्यान और प्रार्थना
दिन भर माँ दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और शांत मन से ध्यान करें। पूजा के अंत में परिवार के सभी सदस्यों को आरती दिखाएं और प्रसाद वितरित करें।
इस प्रकार, नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की विधिवत पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
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