यात्रियों के लिए खुशखबरी! सफर करना होगा और भी आसान; जल्द शुरू होगा...
उत्तराखंड में यात्रियों के लिए खुशखबरी है। जल्द एक रेल लाईन तैयारी होगी। ऐसे में यात्रियों को भारी भीड़ से मुक्ति मिल सकेगी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

देहरादून: उत्तराखंड में महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के तहत ट्रैक बिछाने का काम अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। इस परियोजना में कुल 125 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछाई जानी है, जिसकी अनुमानित लागत करीब 750 करोड़ रुपये है। भारतीय रेलवे के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल ने इस परियोजना को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल ट्रैक बिछाने के लिए सर्वेक्षण का काम तेजी से किया जा रहा है।
परियोजना की प्रगति
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, रेलवे अधिकारियों के अनुसार कुल 125 किलोमीटर रेलवे लाइन में से 105 किलोमीटर निर्माणाधीन है। ट्रैक सुरंगों के अंदर होगा। इसके लिए आधुनिक बैलास्टलेस ट्रैक बिछाया जाएगा, जिससे ट्रेनों की गति और संचालन में सुधार होगा। प्रस्तावित 19 पुलों में से 8 पुल पहले ही बनकर तैयार हो चुके हैं, जिनमें चंद्रभागा, शिवपुरी, गूलर, ब्यासी, कोडियाला, पौड़ी नाला, लक्ष्मोली और श्रीनगर पुल शामिल हैं। शेष 11 पुलों का निर्माण कार्य भी 60% पूरा हो चुका है और 2026 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य है।
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स्टेशनों का निर्माण और ट्रैक बिछाने की तैयारी
परियोजना के तहत 13 रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं। इनमें से वीरभद्र और योगनगरी स्टेशन 2020 में ही बनकर तैयार हो चुके हैं। शिवपुरी और ब्यासी रेलवे स्टेशनों के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और इनका निर्माण 61 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। शेष 9 स्टेशनों के लिए अलग से टेंडर जारी किए जाएंगे। परियोजना का सबसे बड़ा स्टेशन कर्णप्रयाग होगा, जिसका निर्माण कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा। रेलवे अधिकारियों के अनुसार ट्रैक बिछाने के लिए आवश्यक स्लीपर और अन्य सामग्री परियोजना स्थलों पर पहुंच गई है। रेलवे विकास निगम के उप महाप्रबंधक (सिविल) ओपी मालगुडी के अनुसार ट्रैक बिछाने का काम जल्द पूरा करने के लिए सर्वे का काम तेज कर दिया गया है।
उत्तराखंड के पर्यटन और विकास को मिलेगा बढ़ावा
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यह परियोजना उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही स्थानीय लोगों के लिए वरदान साबित होगी। इसके पूरा होने से चारधाम यात्रा आसान होगी, पर्यटन और व्यापार के नए अवसर खुलेंगे और क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी। परियोजना अधिकारियों का कहना है कि ट्रैक बिछाने का काम 2027 तक पूरा हो जाएगा और इसके बाद इस रेल लाइन पर ट्रेनें दौड़ने लगेंगी।