

राज्यसभा का टिकट न मिलने से नाराज सलीम इकबाल शेरवानी ने रविवार को पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया। इसकी खबर जब सपा के दूसरे मुस्लिम नेताओं को हुई तो उन्होंने शेरवानी को मौकापरस्त बता डाला। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
लखनऊ: 1984 में कांग्रेस से अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले सलीम इकबाल शेरवानी को राज्यसभा का टिकट नहीं मिला तो उन्होंने पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिख आरोप लगाया कि पार्टी में मुसलमानों को कोई पूछ नहीं हैं। जबकि 2022 में ही राज्यसभा के चुनाव में एक मुसलमान जावेद अली खान को तीन सीट के कोटे के बावजूद सपा ने सांसद बनाकर भेजा।
समाजवादी पार्टी ने चार बार लगातार 1996, 1998, 1999 और 2004 में शेरवानी को बदायूं से लोकसभा का टिकट दिया और वे जीतकर देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचे। 1996 से 1998 तक तीसरे मोर्चे की सरकार में सपा ने उन्हें अपने कोटे से केन्द्रीय मंत्री बनवाया। जब 2009 में शेरवानी को बदायूं से टिकट नहीं मिली तो उन्होंने सपा छोड़ दी और एक बार फिर कांग्रेस में चले गये लेकिन यहां पर धर्मेन्द्र यादव से चुनाव हारकर तीसरे स्थान पर चले गये।
रविवार को लखनऊ के सत्ता प्रतिष्ठान में शेरवानी के इस्तीफे की खबर जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो सपा के दूसरे मुस्लिम नेताओं ने अपने ही अंदाज में शेरवानी को मुसलमानों के रहनुमा बनने की आड़ लेने वाला मौकापरस्त बता डाला।
जनाब सलीम शेरवानी साहब,
मेरी वालिदा मरहूम रबाब सैयदा साहिबा का इंतेक़ाल ६ फ़रवरी को हो गया।
आपके ही साथ सांसद थी और जम्मू कश्मीर को छोड़ दें तो पूरे भारत की अकेली मुस्लिम महिला सांसद थीं आपकी ही पार्टी से सांसद थीं और मेरे वालिद साहब भी आपके अच्छे दोस्तों में थे।
बहुत उम्मीद… pic.twitter.com/HUdeIt6mWc— Yasar Shah (@yasarshah_SP) February 18, 2024
सपा सरकार में मंत्री रहे यासर शाह ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उनकी मां का निधन 6 फरवरी को हो गया, वे शेरवानी के साथ ही संसद में रहीं, जम्मू कश्मीर को छोड़ दें तो पूरे भारत की अकेली मुस्लिम महिला सांसद थीं लेकिन इस दुख की घड़ी में एक बार भी शेरवानी ने फोन करना तक मुनासिब नहीं समझा और दावा करते हैं कि वे मुस्लिमों के रहनुमा हैं।
इस तरह की प्रतिक्रिया पार्टी के कई अन्य मुस्लिम नेताओं ने भी दी है।