गोवा में गणेशोत्सव से पहले छोटी मूर्तियों की मांग बढ़ी, जानिये क्या है कारण
आगामी गणेशोत्सव के दौरान घर पर स्थापित करने के लिए भगवान गणेश की छोटी मूर्तियों की मांग में वृद्धि देखी जा रही है और मूर्ति बनाने वाले कलाकार इसका श्रेय राज्य में बसने वाले महाराष्ट्र के लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि को देते हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
पणजी: गोवा में आगामी गणेशोत्सव के दौरान घर पर स्थापित करने के लिए भगवान गणेश की छोटी मूर्तियों की मांग में वृद्धि देखी जा रही है और मूर्ति बनाने वाले कलाकार इसका श्रेय राज्य में बसने वाले महाराष्ट्र के लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि को देते हैं।
कलाकारों का मानना है कि गोवा के मूल निवासी आमतौर पर भगवान की दो फुट लंबाई वाली मूर्तियां चुनते हैं, जबकि महाराष्ट्र के लोग एक फुट से कम आकार वाली मूर्तियां चाहते हैं।
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महामारी के कारण घर से काम करने का चलन शुरू होने के बाद से बड़ी संख्या में महाराष्ट्र और विशेष तौर पर मुंबई के लोग गोवा में आकर बस रहे हैं।
महाराष्ट्र की तरह, गोवा में भी गणेश उत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसे यहां ‘चोवोथ’ के नाम से जाना जाता है। इस साल यह महोत्सव 31 अगस्त से शुरू होगा।
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मूर्ति बनाने के अपने पारिवारिक व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे कलाकार रितेश चारी (29) का कहना है कि महामारी से पहले की तुलना में पिछले कुछ साल से छोटी गणेश मूर्तियों की मांग में बढ़ोतरी हुई है।
चारी ने कहा, 'छोटी मूर्तियों (दस इंच) की मांग में वृद्धि हुई है। यह पहले कभी नहीं देखा गया था।”
चारी मडगांव शहर में गणेश मूर्तियों को एक अस्थायी संरचना में बिक्री के लिए रखते हैं। उन्होंने कहा कि उनके साथी उत्तरी गोवा जिले के पोंडा शहर में गणेश की मूर्तियां बनाते हैं, जहां से उन्हें दक्षिण गोवा के मडगांव ले जाया जाता है।
चारी ने बताया कि छोटी गणेश मूर्तियों के खरीदार ज्यादातर मराठी भाषी हैं। इससे पता चलता है कि वह गोवा के मूल निवासी नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि गोवा के परिवार आमतौर पर दो फुट या उससे अधिक आकार की मूर्तियों को पसंद करते हैं।
उत्तरी गोवा के मार्सेल गांव के निवासी मूर्ति निर्माता रमाकांत अमोनकर ने कहा, “मुंबई में त्योहार के दौरान घर पर छोटी गणेश मूर्तियों को स्थापित करने और उनकी पूजा करने की परंपरा है, जबकि गोवा में बड़े आकार की मूर्तियों की पूजा की जाती है।”
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उन्होंने कहा कि छोटी मूर्तियों की मांग खासकर पणजी, मडगांव, पोंडा और मापुसा जैसे शहरी इलाकों समेत पूरे गोवा में हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘छोटी मूर्तियों को विसर्जन के लिए भी आसानी से ले जाया जा सकता है।’’ चारी ने कहा कि कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि ने उन्हें दरें बढ़ाने के लिए मजबूर किया है।
उन्होंने बताया, “सबसे सस्ती मूर्ति की कीमत 800 रुपये है, जबकि महंगी मूर्ति की कीमत 12,000 रुपये है। औसत मध्यम वर्गीय परिवार 2,500 रुपये से 2,800 रुपये की मूर्ति खरीदता है।” चारी ने इस बार मिट्टी की 200 मूर्तियां बनाई हैं।
पेशे से फोटोग्राफर राजेंद्र देशपांडे उन लोगों की बढ़ती संख्या में शामिल हैं, जिन्होंने कोविड महामारी के बाद गोवा को अपना नया घर बनाया है।
देशपांडे ने कहा कि वह यहां अपने परिवार के सदस्यों के साथ चोवोथ मनाएंगे।
उन्होंने कहा कि मकान की कम कीमतों और घर से काम करने के विकल्प के कारण उन्होंने अपना घर मुंबई से गोवा में स्थानांतरित कर दिया। (भाषा)