DN Exclusive: महराजगंज के गन्ना किसानों का दर्दः टूटी शादी, बिखर गए सपने, कर्ज के बोझ तले लद गई बच्चों की खुशहाली

डीएन ब्यूरो

निचलौल क्षेत्र के गन्ना किसानों ने मन में तमाम सपने सजोए थे। उम्मीद था कि गन्ना गिरेगा, तो बेटी की शादी होगी और कर्ज से छूटकारा मिलेगा, लेकिन नियति को यह सब मंजूर नहीं था। बच्चों की खुशहाली कर्ज के बोझ तले दब गई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी रिपोर्ट

खेत में खड़ी गन्ना की फसल
खेत में खड़ी गन्ना की फसल


महराजगंजः बड़े अरमान के साथ गेहूं की खेती छोड़ गन्ना की खेती का सहारा लिया। मन में सपने सजोए कि इस बार गन्ने का भुगतान मिलेगा, तो बिटिया का हाथ पीला कर देंगे। अधूरा घर का काम भी पूरा हो जाएगा। बच्चों की पढाई की फीस का भी भरपाई हो जाएगी। लेकिन नियति ने अरमानों पर पानी फेर दिया। खेत में गन्ना की फसल खड़ी है। पर्ची न मिल पाने की वजह से अभी तक गन्ना नहीं गिर सका है। साहूकार हर दिन दरवाजे पर कर्ज वसूलने की दवाब बना रहा है, लेकिन पास में पैसा न होने से मन मसोस कर रहना मजबूरी बन गई है।

जिम्मेदारों की बेवफाई से टूटा दुख का पहाड़
यह कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं बल्कि निचलौल क्षेत्र के तीन दर्जन गांव के हज़ारो गन्ना किसानों की है, जो कहने के लिए उनके खेतों में गन्ना की फसल तैयार है, लेकिन हुक्मरानों की बेवफाई से उनका जीवन में मानों पहाड़ टूट पड़ा है। ग्राम सभा बढ़या, डोमा, अहिरौली, बजहा, बजही, बैठवलिया, शीतलापुर, बहुआर सहित तीन दर्जन गांव के किसानों के खेत में गन्ना की फसल अपनी बर्बादी पर आंसू बहा रही है। किसानों के जख्म पर मरहम रखने को कोई अधिकारी तैयार नही है।

 

गन्ना न गिरने से रूक गई बेटा-बेटियों की शादी
ग्राम बढ़या मुस्तकीम के रहने वाले गन्ना किसान रामआसरे मौर्य ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि गन्ने के बल पर ही यहां के किसानों ने बेटी व बेटा का विवाह तय किया था। पूरा उम्मीद था कि समय से गन्ना गिरेगा तो उसके पैसे से बेटी के हाथ पीले हो जाएंगे। लेकिन 18 दिन गुजर गए, अभी तक गन्ना गिराने के लिए एक भी पर्ची नहीं मिली। शादी का दिन करीब है। ऐसे में शादी का हर रस्म कैसे पूरा होगा, किसान सोचकर पागल हुए जा रहा है। बावजूद कोई भी जिम्मेदार इन किसानों की दर्द सांझा करने को तैयार नही है।

पैसा न होने से अधूरा पड़ा मकान
इसी गांव की रामरती, सोमारी, नैरलनिशा, जीउत, बाबुलाल, गफुर ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि इसी गन्ने के सहारे से साहूकारों से कर्ज लेकर मकान का निर्माण शुरू कराया। आधा अधूरा मकान बनकर खड़ा है। साहूकार पैसे के लिए दिन ताना मार रहा है। लेकिन गन्ना न गिरने से मकान बनाने का सपना टूटता नजर आ रहा है। इसी तरह की कहानी फातिमा, राजकुमारी, राधेश्याम, पुष्पावती ने भी सुनाई। कहा कि बच्चों की परीक्षा करीब है। घर में जो था उसे बेचकर गन्ना की खेती में लगा दिया। न तो घर में खाने के लिए अन्न बचा है और न ही पास पैसा ही है। ऐसे स्थिति में बच्चों की फीस कैसे जमा करें।, सोचकर दिन का सकून और रात की नींद हराम हो गई है।

क्या है मामला
निचलौल ब्लाक के तकरीबन तीन दर्जन गांव के किसानों का गन्ना खरीदने के लिए पिपराइच शुगर मिल ने बढ़या मुस्तकीम गांव में सेंटर लगाया है। शुरूआती दौर में पर्ची तो आई लेकिन जितना गन्ना गिराने का कोटा है। उस हिसाब से किसी भी किसान को पर्ची नहीं मिली है। इधर 18 दिन गुजर गए। एक भी पर्ची नही मिली। सेंटर पर तैनात जिम्मेदार कहते हैं कि अभी पर्ची के लिए इंतजार करना पड़ेगा। जिला गन्ना अधिकारी से भी किसानों ने कई बार फरियाद की। लेकिन वह भी किसानों से मुंह मोड़ लिए है। इसे लेकर गन्ना किसानों का माली हालत काफी खराब होती जा रही है।










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