ग्रामसभा के समस्त विकास कार्यों की जांच करने पहुंचे अधिकारी, ब्लॉक के अधिकारियों की भूमिका पर उठे सवाल
ग्रामसभा परासखाड में ग्रामसभा के समस्त विकास कार्यों की जांच के लिए दोबारा अधिकारी बिना पूर्ण अभिलेख के जांच करने पहुंचे, जिससे अधिकारियों की कार्यप्रणाली को लेकर गांव में तरह तरह की चर्चाओं का माहौल गर्म रहा। पढ़ें पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
महराजगंजः विकासखंड बृजमनगंज के ग्रामसभा परास खाड में समस्त ग्रामसभा के विकास कार्यों में धांधली को लेकर मंगलवार को शाम को 4:30 बजे जांच करने अधिकार पहुंचे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार ग्रामसभा परासखाड में समस्त कराए गए विकास कार्यों में घोटाले कि शिकायत ग्रामसभा निवासी अनिल शुक्ल ने कुछ दिन पहले डीएम और सीडीओ को पत्र लिखकर किया था। जिसके बाद जिला प्रशासन ने टीम गठित कर जांच के लिए भेजा था कुछ दिन पहले ग्रामसभा में जब चार सदस्यों की टीम पहुंची थी, तो ग्रामसभा में प्रधान और शिकायतकर्ता पक्ष में जबरदस्त हंगामा हुआ था। जिसके बाद जांच अधिकारी को मौके पर पुलिस बुलानी पड़ी थी, फिर जांच टीम ने ग्रामसभा में प्रधान पक्ष और शिकायतकर्ता और ग्रामीणों का बयान दर्ज किए गए थे और मौके पर स्थलीय निरीक्षण भी किया था।
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कुछ दिनों में जांच अधिकारी ने अपने उच्चाधिकारियों को जांच रिपोर्ट सौंपने की बात कही थी ,लेकिन शिकायकर्ता का कहना है कि लगभग महीने बीत गए लेकिन उन्हें अभी तक जांच रिपोर्ट में क्या हुआ ये नहीं बताया गया। कल मंगलवार की शाम को फिर दूसरी बार जिला प्रोबेशन अधिकारी ध्रुव चंद त्रिपाठी अकेले बिना ब्लॉक के किसी कर्मचारी के और बिना पूर्ण अभिलेख के अचानक गांव में जांच करने पहुंच गए। जिससे ग्रामसभा में लोगों की भीड़ लग गई, इस दौरान शिकायतकर्ता के सामने मनरेगा से संबंधित भौतिक जांच पड़ताल की गई,जांच करने आए जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि मनरेगा से संबंधित जांच करने आए है।
जांच में मनरेगा में कुछ लोगों का नाम दिखाकर मनरेगा का भुगतान के नाम पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिसमें कुछ ग्रामीणों के नाम पर बिना काम किए ही उनके नाम पर मनरेगा का भुगतान की बात सामने आई है। जांच अधिकारी ने बताया की जबतक पासबुक की जांच नहीं हो जा रही है तब तक पूरी सच्चाई सामने नहीं आयेगी।
ग्राम में गुलाबी देवी और कांति देवी नाम की महिलाएं जो रसोइया है उनका नाम भी मनरेगा में दिखाया गया है। जबकि महिलाओं ने अधिकारी के सामने मनरेगा में कभी भी काम न करने की बात कही है। ऐसे ही गांव में कई मामले सामने आए है जिसमें मनरेगा में धांधली किए जाने की बात उजागर हुई है। साथ ही अन्य कार्यों में अनियमितता की बात भी सामने आई है। इससे ग्रामसभा के सेक्रेटरी से लेकर ब्लॉक के अधिकारियों तक की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब ग्रामसभा के समस्त विकास कार्यों को लेकर शिकायत की गई है तो जांच अधिकारी फिर दूसरी बार बिना पूर्ण अभिलेख के कैसे जांच करने पहुंच गए?
जबकि अधिकारी बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक गांव में जांच करने पहुंच गए इस दौरान प्रधान को भी इस बात की सूचना न मिल पाने के कारण वो अपना पक्ष रखने के लिए मौजूद नहीं रहे।