महराजगंज के विधायकों पर सीएम ने गिरायी बिजली, नहीं बनाया किसी को मंत्री, ये है कारण?

डीएन संवाददाता

पूरे राज्य में आज सिर्फ एक ही खबर चर्चा में हैं योगी मंत्रिमंडल के विस्तार की। महराजगंज जिले में भाजपा के चार विधायक हैं, सबने खूब उछल-कूद मचायी मंत्री बनने के लिये लेकिन योगी ने किसी को भी तवज्जो नहीं दी। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव..

विधायकों की तस्वीर
विधायकों की तस्वीर


लखनऊ: महराजगंज जिले के चारों भाजपाई विधायकों ज्ञानेन्द्र सिंह, प्रेमसागर पटेल, बजरंगी सिंह और जयमंगल कन्नौजिया की निगाहें सीएम योगी आदित्यनाथ की कृपा पाने को लालायित थीं। सब इस जुगाड़ में थे कि किसी भी तरह सीएम की नजरें इन पर इनायत हो जाये और इन्हें भी जीवन में एक बार मंत्री पद नसीब हो जाये लेकिन ऐसा नही हुआ। 

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक सीएम महराजगंज जिले के राजनीतिक समीकरण को बेहद नजदीक से जानते हैं। इनमें से तीन विधायक स्थानीय सांसद पंकज चौधरी के बेहद करीबी हैं यही वजह है कि इनका पत्ता योगी ने काट दिया। 

सीएम जब सांसद थे तभी से भाजपाई संगठनात्मक राजनीति में उन्होंने स्थानीय गुटबाजी को पसंद नही किया। योगी के करीबी सूत्रों की मानें तो सीएम को लगता है कि ये मंत्री बनने के बाद जनता से ज्यादा खुद का भला करेंगे, इसी आशंका के चलते उन्होंने किसी को मौका नहीं दिया।

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एक समय यह भी था जब योगी गोरखपुर के सांसद होते थे और उनकी एक विधानसभा श्यामदेउरवा होती थी और ये सीधे-सीधे महराजगंज की राजनीति में दखल रखती थी। इस दौरान 1998 से 2002 के बीच कल्याण सिंह से लेकर राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व वाले कार्यकाल में जिले से चार-चार विधायक चन्द्र किशोर, अमरमणि त्रिपाठी, फतेह बहादुर सिंह और शिवेन्द्र सिंह मंत्री होते थे। सीएम को यह खटकता है कि 4-4 मंत्रियों के बाद भी जिले का विकास किसी से नहीं किया। दूसरा सीएम खुद गोरखपुर से आते हैं ऐसे में महराजगंज से किसी को मंत्री बनाने का क्या मतलब? यही नही केन्द्रीय मंत्रिमंडल में भी पंकज चौधरी को योगी ने स्थान नहीं लेने दिया। 

 

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बजरंगी सिंह
अंदर की खबर की माने तो बजरंगी सिंह भले कई बार विधायक रह चुके हैं लेकिन सीएम की नजरों में ये ठेकेदार वाली छवि से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। 2015 में इनके ठेकेदारी कांड के चलते संगठन की इस कदर बदनामी हुई कि सुप्रीम कोर्ट तक जाने के बाद भी ये अपनी विधायकी नहीं बचा पाये और इनको विधान सभा की सदस्यता से बर्खास्त कर दिया गया और फरेन्दा विधानसभा में मई 2015 में उपचुनाव में हुआ और ये बुरी तरह चुनाव हार गये। 

ज्ञानेन्द्र सिंह
सीएम के पुराने संसदीय क्षेत्र में इनकी विधानसभा आती थी। ये कई बार के विधायक रह चुके हैं। 2017 में जब सरकार बनी तो मंत्रिमंडल की लिस्ट में इनका नाम था लेकिन योगी ने आखिरी समय में सांसद पंकज चौधरी से बेहद नजदीकी के चलते इनका पत्ता साफ कर दिया था।

जयमंगल कन्नौजिया
जयमंगल खुद पांच साल और इनकी पत्नी सुनीता पांच साल नगर पालिका महराजगंज की अध्यक्ष रह चुकी हैं। पहले कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते जयमंगल बर्खास्त हो चुके हैं। यह सीएम के दिमाग में हैं। इनके मंत्री बनने की राह में यह बात कांटा बनकर सामने खड़ी हो गयी।

प्रेमसागर पटेल
अन्य तीन विधायकों के ठीक उलट इनको पंकज विरोधी खेमे का माना जाता है यह ऊपर सत्ता प्रतिष्ठान में इनके पक्ष में जाता है लेकिन राज्य संगठन ने इनके नाम को विचार करने के बाद भी इसलिए खारिज कर दिया कि ये बसपा से भाजपा में आये हैं। यदि संगठन के पुराने लोगों को दरकिनार कर इन्हें मंत्री बनाया जाता तो पुराने कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश नहीं जाता। इसलिए इनका पत्ता साफ हो गया।










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