महराजगंज: मनरेगा में पंजीकृत फर्मों के सत्यापन में भारी फर्जीवाड़ा, सीडीओ की चुप्पी पर सवाल?

डीएन ब्यूरो

जो भी शासनादेश लखनऊ से चलकर महराजगंज पहुंच रहे हैं, उनमें भारी कांड किया जा रहा है। दिखावटी तौर पर चिट्ठियां कुछ लिखी जा रही हैं लेकिन हकीकत में खेल वही पुराना लूट का हो रहा है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव

फाइल फोटो
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महराजगंज: लखनऊ में बैठे ग्राम्य विकास आयुक्त ने पत्र संख्या- मनरेगा पत्रां.सं.- 16-1747-2020 दिनांक 14.08.2020 के माध्यम से आदेशित किया कि मनरेगा योजना के अंतर्गत वेबसाइट पर पंजीकृत वेंडर, फर्म का विस्तृत सत्यापन कराया जाये।

पंजीकृत सभी फर्मों के जीएसटी नंबर, आय़कर पंजीकरण आदि को दोबारा चेक किया जाय।

सबसे महत्वपूर्ण बात शासनादेश में कही गयी कि पंजीकृत फर्मों के पते पर पहुंच फर्म के अस्तित्व का पता लगाया जाये, स्थलीय सत्यापन में कार्य प्रणाली की सघन जांच हो।

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दौरान जांच जिन फर्मों द्वारा मनरेगा गाइडलाइंस वित्त विभाग के आदेश के क्रम में निर्धारित मानक पूरे हों उन्हें मनरेगा वेबसाइट से हटाते हुए ब्लैक लिस्टेड घोषित कर दिया जाय़े।

ग्राम्य विकास आय़ुक्त के उपरोक्त आदेश के क्रम में महराजगंज के सीडीओ ने उसी दिन कार्यक्रम अधिकारी और बीडीओ को पत्र तो जारी कर दिया लेकिन सीडीओ को इतनी फुर्सत भी नहीं मिली कि उनके मातहत शासन के आदेश का माकूल पालन करा रहे हैं या नहीं, इसकी जांच कर लें।

उक्त कार्य करने वाली कई फर्मों के प्रतिनिधियों ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि नियमानुसार जो फर्म गिट्टी, बालू, सीमेंट, सरिया आदि बेच रही हों, स्थायी दुकान हो, इंटरलाकिंग ईंट बनाती हों, स्वयं ह्यूम पाइप का उत्पादन करती हों, उनकी ही कार्यप्रणाली को सत्यापन में सही ठहराया जा सकता है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं किया जा रहा है।

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सत्यापन के नाम पर जाने वाले कर्मचारी भारी धनउगाही कर रहे हैं और फर्जी जांच कर जो फर्में अस्तित्व में ही नहीं हैं, सिर्फ कागजों में जीएसटी, आधार, आय़कर पंजीकरण हैं, उन्हें अस्तित्व में मान लिया जा रहा है। जबकि हकीकत वाले दुकानदार धनउगाही की रकम देने के कारण पंजीकृत नहीं किये जा रहे हैं।

सवाल ये है जब शासनादेशों की आड़ में इस तरह के कांड किये जायेंगे तो कैसे शासन की मंशा सफल होगी, वैसे भी महराजगंज जिले में कोरोना काल में आय़े तमाम तरह के फंड के भयानक दुरुपयोग की जबरदस्त कानाफूसी चारों ओर आम है। यदि इसकी सीबीआई से जांच हो जाये तो कई बड़े जेल में चक्की पीसते नज़र आय़ेंगे।










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