महराजगंज: बंद पड़े लोक शिक्षा केंद्र, निरक्षरों को साक्षर करने वाले प्रेरकों के भविष्य अधर में

DN Bureau

जिले के प्राथमिक स्कूलों में संचालित लोक शिक्षा केंद्र गत अप्रैल माह से बंद पड़े हैं, जबकि तीन वर्ष से बकाये मानदेय को लेकर केंद्र संचालक प्रेरकों को भारी समस्याओं से जूझ रहे है। सरकार की उपेक्षा के कारण रोजगार प्ररकों को कई तकलीफें झेलनी पड़ रही है। पूरी खबर..

जिला संरक्षक नयना नन्द मिश्र
जिला संरक्षक नयना नन्द मिश्र


महराजगंज: जिले के गाँवों में साक्षर भारत मिशन योजना के तहत लंबे समये से लोक शिक्षा केंद्र के जरिये 15 से 35 आयु वर्ग के निरक्षरों को साक्षर किया जा रहा है। इसके लिए प्रति केंद्र एक महिला व एक पुरुष प्रेरक 2000 रुपये प्रति माह मानदेय पर कार्यरत हैं। गत 31 मार्च को प्रदेश सरकार ने इसे बंद करके दूसरी योजना संचालित करने का फ़रमान सुनाया था, जिसके बाद से इन केन्द्रों के जरिये रोजगार पाए प्रेरकों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

अधर में लटके प्रेरक
यह योजना केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संचालित है। इसके तहत रोजगार प्रेरकों को योग्यता वालों को गुणांक के आधार पर नियुक्त किया गया था। ये इसे अपना भविष्य समझ कर पूरे मनोयोग से कार्य कर रहे थे। 4 माह से योजना बंद होने के बाद भी इन्हें दूसरी योजना के तहत नहीं जोड़ा गया, जिससे ये अब अपने भविष्य को लेकर संशय में हैं।

3 वर्षो से लटका मानदेय, भूखमरी पर प्रेरक

प्रेरकों का मानदेय गत 3 वर्षों से बाकी है। इसके लिए प्रेरक जिले से लेकर राज्य व केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटा चुके है, लेकिन उन्हें सफलता नही मिली। अब वे पूरी तरह से भूखमरी के कगार पर आ चुके हैं।

क्या कहते जिला संरक्षक?

डाइनामाइट न्यूज़ से खास बातचीत के दौरान आदर्श साक्षरता कर्मी वेलफेयर एसोसिएशन के जिला सरंक्षक नयना नन्द मिश्र ने बताया कि नयी योजना से प्रेरकों को जोड़ने व मानदेय भुगतान को लेकर एसोसिएशन के तत्वाधान में प्रेरक जिले से लेकर लखनऊ, दिल्ली तक ज्ञापन, धरना प्रदर्शन, आमरण अनशन कर चुके। अभी 11 जुलाई से 29 जुलाई तक गोरखपुर के नगर निगम पार्क में लगातार अनशन किए लेकिन कोई हल नहीं निकला। उनका कहना है कि यदि सरकार द्वारा इस तरफ ध्यान नहीं गया तो प्रेरक कोई बड़ा आंदोलन कर सकते हैं। 










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