लखनऊ: कोरोना में अंतिम संस्कार के नाम पर मची लूट, मुंह मांगी रकम न देने पर लोगों से अभ्रदता

डीएन ब्यूरो

कोरोना की वैश्विक महामारी में जहां कुछ लोग एक-दूसरे की मदद करके मानवता की एक अद्भुत मिसाल कायम कर रहे हैं वहीं कुछ बेशर्म लोगों के लिये संकट का यह समय कमाई का जरिया बन गया है। डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट



लखनऊ: राजधानी लखनऊ के एक श्मशान घाट पर धड़ल्ले से लूट की दुकानें चलायी जा रही है। कोरोना काल के संकट में अंतिम संस्कार के नाम पर लोगों को जमकर लूटा जा रहा है। इस खुली लूट का विरोध करने पर घाट पर मौजूद लोग पीड़ित परिवारों से अभ्रदता पर उतारू हो जाते हैं। 

थाना ठाकुरगंज क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नगर निगम के गुलाला घाट पर अंतिम संस्कार के लिये मृतकों के परिजनों से जबरन साढे तीन हजार रुपये लिये जा रहे हैं, जबकि निगम द्वारा अंतिम संस्कार के लिये 600 रुपये की धनराशि तय की गयी है। दाह संस्कार के नाम पर हो रही नगर स्वास्थ्य अधिकारी और संबंधित विभाग इस मामले में लुटेरों के खिलाफ कार्रवाई की बात तो करते हैं लेकिन अवैध वसूली करने वाले इन लुटरों के बुलंद हौसलों को देखकर लगता है कि उनके लिये सरकारी नियम-कानून के कोई मायने नहीं रखते। 

ताजा मामला नगर निगम जोन-6 में थाना ठाकुरगंज क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गुलाला घाट का है। जहां पर मंगलवार को अवधेश कुमार अपने एक रिश्तेदार का अंतिम संस्कार करने पहुंचे थे। अवधेश कुमार का आरोप है कि नगर निगम द्वारा निर्धारित दरों से अधिक उनसे हर चीज का पैसा वसूला गया और उनके द्वारा इस चीज पर आपत्ति करने से वहां के कर्मचारी नाराज हो गए और उनसे अभद्रता पर उतारू हो गए। 

जानकारी के अनुसार नगर निगम द्वारा यहां पर अंतिम संस्कार करने के 600 रुपये निर्धारित किये गये हैं और लकड़ी का भुगतान 300 रुपये मन की दर से लोगों को अलग से करना होता है। अवधेश कुमार का कहना है कि उनसे लकड़ी के अलावा सिर्फ अंतिम संस्कार के ही 3500 रुपये मांगें गए और मना करने पर उनके साथ अभद्रता की गई। बाद बहुत मुश्किल से 1100 रुपए लेकर वहां के कर्मचारी माने। 

इस मामले में नगर स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि सभी श्मशान घाटों पर नगर निगम द्वारा हर चीज का रेट निर्धारित है और यदि कोई नगर निगम द्वारा निर्धारित दरों से अधिक वसूली करता पाया जाएगा तो उसके खिलाफ जांच करने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। 
 










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