अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस: राज्यपाल राम नाईक ने दिव्यांगों का बढ़ाया हौसला
विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर आज गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे राज्यपाल राम नाईक ने दिव्यांगों को कृत्रिम अंग और सहायक उपकरण वितरित किये। डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट..
लखनऊ: राज्यपाल राम नाईक ने विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर कई क्षेत्रों में कार्यरत सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगों को पुरस्कृत करते हुए सत्र 2017-18 में हाई स्कूल में 80 प्रतिशत या उससे अधिक अंक लाने वाले 11 छात्र छात्राओं को और इंटरमीडिएट में 75 या उससे अधिक अंक लाने वाले 4 छात्र छात्राओं को सम्मानित करते हुए उनको मोबाइल फोन भेंट किया। इस मौके पर दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग मंत्री ओम प्रकाश राजभर भी मौजूद रहे।
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संबोधन के दौरान राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने विकलांग शब्द की जगह दिव्यांग शब्द को प्रचलित किया। समाज मे 2011 की जनगणना में 2.8 फीसदी लोग दिव्यांग थे। दिव्यांगों की श्रेणी 7 से बढ़कर 21 तक केंद्र सरकार द्वारा की गई। उत्तर प्रदेश सरकार ने दिव्यांगों की पेंशन 300 से 500 रुपये की। दिव्यांगों को विवाह के लिए 20 हज़ार रुपये से बढ़ाकर 35 हज़ार रुपये किये। साथ ही दिव्यांगों को पुरस्कार 5 हज़ार से बढ़ाकर 25 हज़ार किया गया। केंद्र सरकार ने दिव्यांगों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का वादा किया है।
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किताबों से लेकर ड्रेस तक पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन कर रही है। दिव्यांगों को शैक्षणिक संस्थानों में 5 फीसदी आरक्षण दिया गया। शकुंतला मिश्रा विवि में दिव्यांगों की पढ़ाई पर खास ध्यान दिया जा रहा है। दिव्यांगों को उपहार में मोबाइल बांटा जाना एक बड़ा बदलाव है।
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दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि आज विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य स्तरीय पुरस्कार वितरण का आयोजन किया गया था। आज उन दिव्यांग बच्चों को जिन्होंने अच्छे मार्क्स हासिल किए हैं। उन्हें पुरस्कृत भी किया गया है और साथ ही जो संस्थाएं हैं। जो दिव्यांगों के हित में काम करती हैं। उनको भी पुरस्कृत किया गया है। वहीं दिव्यांगों के लिए आगे क्या व्यवस्था के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि पहले दिव्यांगों को 3 परसेंट रिजर्वेशन दिया जाता था। उसे बढ़ाकर 4 परसेंट किया गया है। साथ ही शिक्षण संस्थाओं में दिव्यांगों का एडमिशन 5 परसेंट अनिवार्य कर दिया गया है।
जिससे दिव्यांगों को जो असुविधा होती थी। वह अब नहीं होगी।अब दिव्यांग बच्चे अपनी मर्जी से पढ़ सकते हैं और आगे बढ़कर प्रगति के रास्ते पर बेहतर जीवन जीने का मौका भी पाएंगे।