महराजगंज: वर्षों बाद टूटी हुक्मरानों की कुंभकरणीय नींद, हरपुर पकड़ी गाँव में हुई कार्रवाई से मचा हड़कम्प, जानिये ये वजह

डीएन ब्यूरो

महराजगंज जिले के 882 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत सड़क, नाली और इंटरलांकिग जैसे कार्य कराए जा रहे है। लेकिन जिम्मेदार इसे सिर्फ दूधारू गाय समझ रहे हैं। हरपुर पकड़ी गांव हुई कार्रवाई से चहुंओर खलबली मच गई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर

मनरेगा (फ़ाइल फ़ोटो)
मनरेगा (फ़ाइल फ़ोटो)


महराजगंजः मनरेगा सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। इसके तहत गरीब परिवार को रोजगार देकर दो वक्त की रोटी मुहैया कराने की जिम्मेदारी है। जिले के 882 ग्राम पंचायतों में इस योजना के तहत पानी की तरह पैसा बहाई जा रही है। लेकिन जिम्मेदार इस योजना को सिर्फ दूधारू गाय समझ रहे है। कही मटेरियल के नाम धांधली है तो कई कही मजदूरी के नाम पर घोटाला है। अचानक सिसवा ब्लाक के हरपुर पकड़ी गांव में हुई कार्रवाई ने चहुंओर खलबली मचा दी है। 

दूसरे के खाते में भेजते हैं मजदूरी  
कई ग्राम पंचायतों में शिकायतें मिलती है कि तमाम लोगों के नाम मनरेगा का फर्जी कार्ड बना है। जो मौके पर कार्य करने नही जाते, फिर भी उनके खाते में मजदूरी का पैसा आता है। जबकि वाास्तविक मजदूर मजदूरी के लिए दरबदर भटक रहे है। हुक्मरान भी उनकी बात सुनने को तैयार नही होते है। 

हाजिरी बढ़ाकर होती है हेराफेरी 
गांवों में यह भी शिकायत है कि मनरेगा कार्ड ग्राम प्रधान व रोजगार सेवक व मेठ अपने पास रखते है। बाद में हेराफेरी कर वह अपने मर्जी से हाजिरी बढ़ाकर कार्ड पर चढ़ाते है। और बाद में वही पैसा फिर मजदूरों से वापस लिया जाता है। जबकि मनरेगा कार्ड कार्य स्थल पर मजदूर के पास होना चाहिए। 

मटेरियल के नाम पर होती है धांधली 
सड़क, पोखरी सुन्दरीकरण आदि तमाम कार्यों में धांधली जग जाहिर है। लेकिन मनरेगा के तहत कराए जा रहे पक्के कार्यों में भी भ्रष्ट्चार चरम पर है। जिम्मेदार टे्ण्डर लेने वाले फर्मों के नाम मनमानी बिल बनवाते है। फिर पक्के कार्यों में प्रयोग किए जाने वाले मटेरियल के पर पैसा वापस लेते है। 

जांच हो तो बेनकाब होंगे कई चेहरे 
मनरेगा कार्यों में की जाने वाली धांधली में सिर्फ छोटे कर्मचारी ही लिप्त नही है। बल्कि गांव से लेकर ब्लाक और उच्चाधिकारी भी सरीक होते है। जिनका कमीशन बंधा है। जो गांव के जिम्मेदार उनके पास तक पहुंचाते है। ग्रामीणों ने डाइनामाइट न्यूज को बताया कि हर गांव में मनरेगा कार्ड व भुगतान किए जाने वाले मजदूरी की जांच हो तो कई चेहरे बेनकाब होंगे और विकास कार्यों में पारदर्शिता भी आएगी।

कार्रवाई से सकते में जिम्मेदार 
हरपुर गांव में प्रधान, रोजगार सेवक, ग्राम सचिव के खिलाफ हुई कार्रवाई से खलबली मच गई है। गांव के चौपालों पर चर्चा शुरू हो गई है। जिससे गांव के जिम्मेदार सकते में है। डाइनामाइट न्यूज को तमाम गांव के ग्रामीणों ने बताया कि जिला प्रशासन की यह कार्रवाई सही है। इसी तरह हर गांव में मनरेगा के तहत कराए जा रहे कार्यों की जांच होना चाहिए।










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