इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्देश, सरकारी आवास खाली कराने की बनेगी यूनिफार्म पॉलिसी

डीएन ब्यूरो

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तबादले या सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों, अधिकारियों द्वारा सरकारी आवास खाली न करने पर सख्त रूख अपनाया है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर...

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट


प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरूवार को तबादले या सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों, अधिकारियों द्वारा सरकारी आवास खाली न करने पर सख्त रूख अपनाया है। कोर्ट ने ऐसे लोगों से आवास खाली कराने का निर्देश दिया है। 

कोर्ट ने सरकारी आवास खाली न करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाय। कोर्ट ने राज्य सरकार को सरकारी आवास खाली करने या अवधि बढ़ाने की यूनिफार्म पॉलिसी बनाने का भी निर्देश दिया है। और कहा है कि आवास खाली कराने के लिए जिम्मेदार लापरवाह अधिकारियों  पर भी कार्रवाई की जाय। कोर्ट ने कहा है कि आदेश की प्रति मुख्य सचिव को अनुपालनार्थ भेजी जाय। 

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यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी ने सहायक अध्यापक राकेश कुमार की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आदर्श सिंह ने बहस की। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार दो माह में सभी जिला प्राधिकारियों से अवधि बीत जाने के बाद भी सरकारी आवास खाली न करने वाले कर्मचारियों की जानकारी लेकर अगले एक माह में आवास खाली करा लिया जाय। मालूम हो कि सहायक अध्यापक छोटे लाल यादव की प्रोन्नति के साथ तबादला कर दिया गया। आवास लंबे समय तक खाली न करने पर वेतन रोक दिया गया। 

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वही आवास याची को आवंटित कर दिया गया। किन्तु खाली न होने के कारण उसे कब्जा नहीं मिला।  आवास खाली न करने वाले कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं की गयी। कोर्ट की सख्ती के बाद आवास खाली हुआ और याची को दिया गया। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे लोगों से मुआवजा वसूल किया जाना चाहिए। 

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के लोक प्रहरी केस में दिये गए निर्देशो का पालन कराने का निर्देश दिया है। और यूनिफार्म पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया है।










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