Maha Kumbh 2025: कड़ाके ठंड में भी बिना कपड़े पहने कैसे रहते हैं नागा साधु, जानिए क्या है इसके पीछे का राज़

महाकुंभ के लिए इन दिनों प्रयागराज में नागा साधु घुमते नजर आ रहे हैं। अक्सर सवाल रहता है कि आखिर ठंड में भी नागा साधु बिना कपड़ों के कैसे रह लेत हैं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की यह रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 11 January 2025, 6:07 PM IST
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प्रयागराज: महाकुंभ (Maha Kumbh) की तारीख जैसे-जैसे पास आ रही है वैसे ही कई रहस्य रहस्यमई बातें सामने आ रही हैं। महाकुंभ में शामिल होने कई बाबा और साधु प्रयागराज पहुंच रहे हैं। इस समय नागा साधु काफी चर्चा में बने हुए हैं। महाकुंभ में कड़ाके की ठंड में भी नागा बाबा निर्वस्त्र घूम रहे हैं। इसी कड़ाके की बर्फीली ठंड में वह गंगा - यमुना के संगम में गोते लगाकर नहाते भी हैं। आखिर क्या है इसका राज, कैसे वो इतनी ठंड में भी अपने शरीर को गर्म रखते हैं।

नागा साधु से जुड़े राज

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, महाकुंभ का आगाज होने ही वाला है। 13 जनवरी से प्रयागराज में संतों और श्रद्धालुओं का सैलाब देखने को मिलेगा। कड़ाके की ठंड के बीच शाही स्नान होगा और हर बार की तरह इस बार भी महाकुंभ के केंद्र में होंगे नागा साधु। दरअसल, नागा साधुओं की दुनिया भी रहस्यों से भरी होती है। ये सिर्फ महाकुंभ में दिखाई पड़ते हैं और फिर तपस्या में लीन हो जाते हैं। लेकिन कई लोगों को यह सवाल रहता है कि आखिर सालो-साल, ठंड में भी नागा साधु बिना कपड़ों के कैसे रह लेत हैं। इन्हें ठंड क्यों नहीं लगती? इसके पीछे का विज्ञान क्या है? आइए जानते हैं... 

कठोर साधना से मन पर नियंत्रण

नागा साधु लंबे समय तक कठोर तपस्या करते हैं, जिससे उनका शरीर कठोर परिस्थितियों में ढल जाता है। नियमित ध्यान और योग अभ्यास से वे अपने शरीर और मन पर नियंत्रण पा लेते हैं। इससे उन्हें सर्दी और गर्मी का एहसास ज्यादा नहीं होता।

नियमित योग

नागा साधु हमेशा नियमित योग करते हैं। वैसे तो योग किसी भी तपस्वी के जीवन का अभिन्न हिस्सा है। योग के जरिए वे अपने शरीर की ऊर्जा को बढ़ाते हैं और अपने शरीर को परिस्थितियों के अनुसार ढाल लेते हैं। नागा साधु भी योग विद्या के नियमित अभ्यास से ऐसा कर पाते हैं।

खानपान और जीवनशैली

शरीर को साधने में सात्विक आहार की भी खास भूमिका होती है। इससे उनका शरीर स्वस्थ रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। नागा साधु एक सरल जीवन जीते हैं, जिससे वे मानसिक रूप से मजबूत होते हैं।

शरीर पर भस्म

आपने नाग साधुओं को शरीर पर भस्म लगाते हुए देखा होगा। बता दें, शास्त्रों के अनुसार, भस्म को पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि भस्म ही अंतिम सत्य है और शरीर को एक दिन भस्म ही बन जाना है। नागा साधुओं का मानना है कि भस्म उन्हें नकारात्मक ऊर्ज से बचाती है। इससे इतर विज्ञान का मानना है कि शरीर पर राख यानी भस्म मलने से ठंड नहीं लगती।

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