DN Exclusive: जीवनदायी हिमालय से खिलवाड़ नहीं रुका तो भविष्य होगा और मुश्किल
स्वार्थी इंसान के प्रकृति पर बढ़ते हस्तक्षेप के कारण पर्वतराज हिमालय पर भी संकट के बादल छाने लगे है। जल, जंगल और जमीन के अत्यधिक दोहन के कारण विश्व में ग्लोबल वार्मिंग समेत पर्यावरणीय संकट गहराने लगा है। यदि इंसान ने जीवनदायी हिमालय से खिलवाड़ करना नहीं रोका को इसके कई दुष्परिणाम सामने आएंगे। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
नई दिल्लीः हिमालय मनुष्य व जीव-जंतुओं को न सिर्फ जीवन देता है बल्कि इसे पर्वतों का राजा यानी पर्वतराज भी कहा जाता है। लेकिन आधुनीकीकरण के इस दौर ने न सिर्फ पर्वत के राजा के पारिस्थतिकीय संतुलन को बिगाड़ा है बल्कि वैश्विक स्तर पर इसे बचाने के लिए विभिन्न सामाजिक संगठनों व पर्यावरण प्रेमियों ने आवाज भी उठाई है। इन सब के बावजूद तापमान में हो रही बढ़ोतरी और बढ़ते प्रदूषण के कारण और हिमस्खलन हो रहा है।
यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड-सौर और पिरुल ऊर्जा से रोशन होंगे पहाड़ के गांव, पलायन पर लगेगी लगाम
हिमालय की गोद से निकलने वाली नदियों का जल स्तर बढ़ रहा है। इससे न सिर्फ जीव-जंतुओं की प्रजातियों को नुकसान पहुंच रहा है बल्कि मनुष्यों के लिए यह एक अभिशाप बन रहा है।
हिमालय किस तरह से हमारे लिए जीवनदायी है
1. भारत के उत्तर में अगर हिमालय न होता तो इससे शायद ही हम अपने पड़ोसी देशों से होने वाले हमलों से बच पाते। हिमालय पर्वत एक सजग प्रहरी की तरह तैनात है जो हमें जीवन प्रदान करता है।
2. हिमालय से निकलने वाली नदियां, ग्लेशियर, वनस्पति, जैव विविधता हमारे भारत को एक सतरंगी जीवन का आधार तैयार करने में मदद करती है।
3. जूओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय क्षेत्र के हिमालय का रकबा देश के कुल क्षेत्रफल में 12 फीसदी है। भारत में पाई जाने वाली जीव प्रजातियों में से 30.16 फीसदी हिस्सेदारी हिमालय की है।
4. हिमालय से निकलने वाली नदियां जिसमें मुख्य रूप से सिंधु नदी जो बेसिन में मिलती है व गंगा- ब्रह्मपुत्र समेत इनकी 2 दर्जन से अधिक सहायक नदियां हमारी आजीविका का उर्जा प्रदान करती है।
यह भी पढ़ेंः DN Exclusive-सरकार की गंगा सफाई योजना के दावों की इस रिपोर्ट ने खोली पोल
5. हिम भंडार दुनिया में अंटार्कटिका और आर्कटिक के बाद तीसरा सबसे बड़ा भंडार है।
6. हिमालय मानसून के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उठने वाले मानसून को रोकता है जिससे भारत में अलग- अलग राज्यों में बरसात होती है।
7.यह झीलों का निर्माणकर्ता है, जिससे कई सैकड़ों झीलों का उद्गम हुआ है। इनमें से मुख्य झीलें उत्तर में स्थित है।
8. हिमालय का जल न सिर्फ खनिज पर्दाथों को समाहित करता है बल्कि मैदानी भागों में जो फसल लहलहाती है वह इसी हिमालय के उपजाऊ मिट्टी की देन है।
9. हिमालय की नदियों व झरनों के पानी को एक जगह इकट्ठा कर जो बांध बनाए जा रहे हैं उससे बिजली का उत्पादन हो रहा है।
10. देश के उत्तर स्थित पर्वत शृंखला में कुछ ऐसी दुर्लभ जड़ी-बूटियां पाई जाती है जो इंसान के लिए जीवनदायी है और इसका महत्व तो हमने रामायण में देखा था कि किस तरह लक्ष्मण को मूर्छा आने पर पवन पुत्र हनुमान ने पर्वत से संजीवनी बूटी लाकर उन्हें नया जीवन दिया है।
यह भी पढ़ें |
NDRF: ऊपरी इलाकों में बचाव कार्यों के लिए पहाड़ियों में स्थायी टीम तैनात करेगा
हिमालय को ऐसे पहुंच रहा नुकसान
1. हम विकास की इस दौड़ में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से भी नहीं झिझक रहे। इससे हिमालय को नुकसान पहुंच रहा है जो मनुष्य के लिए घातक है।
2. बिजली उत्पादन, खेती व व्यवसाय के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में जमीन के कटाव व ऐसी जगहों पर सड़कों का निर्माण जहां पर्वतीय शृंखला है, वहां पर वाहनों से निकलने वाले धुएं व यहां फैलने वाले कूड़े की वजह से हिमालय को नुकसान पहुंच रहा है।
3. पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे ग्लेशियर पिघल रहे हैं जो भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं है।
4. पिछले कई सालों से हिमालय क्षेत्र में कम बर्फबारी के चलते दुनिया में सबसे स्वादिष्ट और मीठे सेबों की दो प्रजातियां लु्प्त होने की कगार पर है।
5. मानसून में हो रहे बदलाव से भी हिमालयी क्षेत्र में बर्फबारी कम हो रही है जिससे की यहां कई जीव- जंतु और जड़ी- बूटियां अब ढूंढते नहीं मिलती है।