DN Exclusive: सरकार की गंगा सफाई योजना के दावों की इस रिपोर्ट ने खोली पोल

डीएन ब्यूरो

केंद्र सरकार जहां नमामी गंगे के तहत यह दावा करते नहीं थक रही है कि गंगा की सफाई के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है.., वहीं इस पर जारी ताजा आंकड़े सरकार के दावों की खिल्ली उड़ा रहे हैं। गंगा की हकीकत को जानने के लिये पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

फाइल फोटो
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नई दिल्लीः मोक्षदायिनी गंगा के पानी को हमेशा निर्मल और अमृत समान माना जाता है। गंगा के किनारे बसे गांवों के लिए तो यह पानी एक वरदान है, क्योंकि इसके निर्मल जल से न सिर्फ किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलता है बल्कि जिन जगहों से होकर गंगा गुजरती है, वहां की भूमि में उपजाऊपन अपने आप ही बढ़ जाता है। इसके अलावा गंगा के पानी के कई और लाभ है। लेकिन आधुनिकीकरण की वजह से कल-कारखानों से निकलने वाला कैमिकल बड़े नालों के जरिए गंगा में सीधे मिल रहा है। जिससे गंगा का पानी लगातार दूषित हो रही है। गंगा की सफाई को लेकर सरकारी प्रयास और दूषित होते पानी पर डाइनामाइट न्यूज़ की स्पेशल रिपोर्ट..

गंगा में डूबकी लगाते श्रद्धालु (फाइल फोटो)
गंगा में डुबकी लगाते श्रद्धालु(फाइल फोटो)

 गंगा की सफाई को लेकर सरकारी योजना

1. गंगा की सफाई को लेकर केंद्र सरकार ने महत्वाकांक्षी योजना ‘नमामि गंगे योजना’ की शुरुआत की। 
2. केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया कि 2014 से जून 2018 तक गंगा नदी की सफाई के लिए 3,867 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है। 
3.जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने राज्यसभा में इसकी जानकारी दी थी।
4. गंगा की सफाई को लेकर जब आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई तो इसमें यह निकलकर सामने आया कि बीते तीन सालों में सरकार ने 12 हजार करोड़ रुपए का बजट देने की बात कही थी।
5. सरकार का वास्तविक बजट 5378 करोड़ रुपए निकला। वहीं इस बजट में जारी 5378 रुपए में से केवल 3633 करोड़ रुपए ही खर्च के लिए निकाले गए।
6. गंगा की सफाई के लिए इस राशि में से केवल 1836 करोड़ 40 लाख रुपए ही वास्तव में खर्च किए गए। 

यूपी में क्यों पीने लायक नहीं रह गया गंगा का पानी

1. गंगा को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ऑनलाइन चेतावनी के बाद एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सीपीसीबी ने कहा है कि यूपी में अब गंगा का पानी पीने लायक नहीं है।
2. प्रदेश में जिन जगहों पर गंगा का पानी पीने लायक नहीं है इसके लिए सीपीसीबी ने एक मानचित्र प्रकाशित कर ऐसी जगहों को चिन्हित किया है।
3. सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार यूपी में बिजनौर और गढ़मुक्तेवश्वर को छोड़कर बाकी सभी जगहों पर गंगा का पानी अब दूषित हो चुका है जो स्वासथ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

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4. प्रदेश में जिन जगहों पर होकर गंगा गुजरती है वहां के पानी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) निर्धारित मानकों से काफी अधिक है।
5. कई जगहों पर तो बीओडी के साथ-साथ पीएच वैल्यू भी अधिक पाई गई है।
7. इन जगहों में अनूपशहर और नरौरा के साथ- साथ अलीगढ़ का कछलाघाट भी शामिल है।
8. कन्नौज में तो गंगा के पानी ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो गई है। वहीं बीओडी का स्तर भी यहां पर काफी बढ़ गया है। 
9. जिन जगहों पर बीओडी की मात्रा अधिक है इनमें-कानपुर, इलाहाबाद, मिर्जापुर, बनारस, बिठूर, शुक्लागंज, गोलाघाट व जाजमऊ समेत कई अन्य क्षेत्र शामिल है।

गंगा की सफाई को लेकर क्या कहती हैं एनजीटी की रिपोर्ट

राष्ट्रीय हरित अधिकरण भी गंगा की सफाई को लेकर अंसतोष व्यक्त कर चुका है। एनजीटी की रिपोर्ट के अनुसार सरकार गंगा की सफाई को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। इस मामले में एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ कह भी चुकी है कि अधिकारियों के गंगा की सफाई के दावों के बावजूद इसके पुनर्जीवन को लेकर जमीनी स्तर पर किया गया काम पर्याप्त नहीं है।

एनजीटी ने इसकी सफाई के लिए एक फैसला दिया था जिसमें हरिद्वार और उन्नाव के बीच में नदी से 100 मीटर दूर तक के क्षेत्र को ‘नो डेवलमेंट जोन’ घोषित किए जाने की बात कही थी। साथ ही गंगा नदी से 500 मीटर की दूरी पर कूड़ा फेंकने से रोकने को लेकर कहा था। 

प्राधिकरण का कहना था कि गंगा की सफाई के लिए सरकार 7,000 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। बावजूद अब भी गंगा पर्यावरण के लिए एक गंभी विषय बनी हुई है।










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