NDRF: ऊपरी इलाकों में बचाव कार्यों के लिए पहाड़ियों में स्थायी टीम तैनात करेगा

डीएन ब्यूरो

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) हिमालय के ऊपरी इलाकों में विशेष पर्वतारोहण टीम स्थायी रूप से तैनात करने पर विचार कर रहा है ताकि वे हिमस्खलन, भूस्खलन और हिमनद झील के फटने से बाढ़ आदि के दौरान तेजी से बचाव अभियान शुरू करने के लिए तैयार हो सकें। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल
एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल


नयी दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) हिमालय के ऊपरी इलाकों में विशेष पर्वतारोहण टीम स्थायी रूप से तैनात करने पर विचार कर रहा है ताकि वे हिमस्खलन, भूस्खलन और हिमनद झील के फटने से बाढ़ आदि के दौरान तेजी से बचाव अभियान शुरू करने के लिए तैयार हो सकें। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

एनडीआरएफ ने भारत के उत्तरी क्षेत्र में इन पर्वत श्रृंखलाओं में प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से निपटने के लिए अपने बलों को तैयार करने के वास्ते कई उपायों की शुरुआत की है।

चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की निगरानी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) करता है और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) एवं सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) नेपाल, भूटान और पाकिस्तान की सीमाओं की रक्षा करते हैं।

एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल ने कहा कि बल पर्वतीय क्षेत्रों में आपदाओं से निपटने के लिए कई कदम उठा रहा है क्योंकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं के होने का ‘‘गंभीर’’ खतरा है।

उन्होंने यह बात 19 जनवरी को यहां बल के 18वें स्थापना दिवस पर आयोजित ‘पहाड़ों में आपदा प्रतिक्रिया’ पर हाल के एक सत्र के दौरान कही।

करवाल ने कहा कि उत्तराखंड में 2013 में अचानक आई बाढ़, फरवरी, 2021 में सीमावर्ती शहर चमोली में हिमनद झील के फटने से आई बाढ़ और जोशीमठ तथा इसके आसपास के इलाकों में जमीन धंसने की हाल की घटनाएं ऐसी हैं जो पर्वतीय इलाकों में हुई हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की आपदाओं के पहले से कहीं अधिक और विकराल रूप लेने की आशंका है और इसलिए एनडीआरएफ को इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।’’

करवाल ने कहा, ‘‘पर्वतीय बचाव कौशल और क्षमताएं न केवल उत्तर के पहाड़ी इलाकों में, बल्कि अन्य जगहों पर भी हमारी मदद करेंगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इससे हमें पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाली किसी भी आपदा के मामले में त्वरित बचाव अभियान शुरू करने में मदद मिलेगी क्योंकि हमारे दल पहले से ही ऊपरी इलाकों में रहने के अभ्यस्त हो जाएंगे।’’










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