महराजगंज के चौक में गुरु गोरक्षनाथ दिए थे नाथ सम्प्रदाय का उपदेश, भक्तों के लिए आस्था का केन्द्र है यह मंदिर, जानें यह है महत्व
महराजगंज के नगर पंचायत चौक स्थित बाबा गुरू गोरक्षनाथ मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केन्द्र है। यहां मकर संक्रांति के पावन अवसर पर मेला की तैयारियां पूरी हो गई है। यहां गुरू गोरक्षनाथ के चरण पादूका की पूजा होती है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर
महराजगंजः चौक बाजार स्थित गुरु गोरक्षनाथ का मंदिर आस्था व विश्वास का केन्द्र है। वैसे तो यहां हर दिन दर्शन के लिए लोग आते है, लेकिन मकर संक्रांति के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। लोग कहते हैं कि यहां गुरु गोरक्षनाथ ने नाथ सम्प्रदाय का संदेश दिए थे। यहां रहकर तपस्या भी किए थे। जिनके चरण पादुका आज भी विद्यमान है। लोगों को हठ योग मंत्र की साधना भी सीखाए थे। मकर संक्रांति पर मेला की तैयारियां पूरी हो गयी है। पुलिस प्रशासन हर गति विधियों पर पैनी नजर रखी हुई है।
प्राचीन काल में कटबांसी का जंगल था यह क्षेत्र
जनश्रुतियों के अनुसार यह क्षेत्र प्राचीन काल में कटबासी बांस का जंगल था। यहां रात में आना दूर, दिन में भी कोई पहुंचने की साहस नहीं जुटा पाता था। हिमांचल स्थित ज्वाला देवी मंदिर से भिक्षाटन के लिए चले गुरु गोरखनाथ कुछ दिनों के लिए यहां ठहरे और लोगों को नाथ सम्प्रदाय का उपदेश दिए। हठ योग की साधना भी सीखाई।
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चरण पादूका की होती है पूजा
आज भी यहां धुईं, चरण पादुका का चिह्न विद्यमान है। गुरु गोरखनाथ की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। क्षेत्र के लोग कहते हैं कि चौक में स्थित यह मंदिर आस्था का केन्द्र है। जिसने भी मन से गुरु गोरक्षनाथ की आराधना की है, निश्चित तौर पर उनकी मनोकामना पूर्ण हुई है।
गोपालपुर के गुरु गोरक्षनाथ मंदिर पर भी लगेगी भीड़
नेपाल के गोपालपुर स्थित गुरु गोरक्षनाथ मंदिर नेपालियों के लिए आस्था का केन्द्र है। यहां मकर संक्रांति के मौके पर नेपालयियों की भारी भीड़ जुटती है। भक्त गुरुगोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं। उनके प्रति जिसकी जितनी श्रद्धा रहती है। उस हिसाब से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।
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एक दशक पहले हुई थी मंदिर का निर्माण
मंदिर का निर्माण 6 नवम्बर 2012 को हुआ। नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेन्द्र वीर विक्रम शाहदेव व स्वर्गीय सांसद योगी अवेद्यनाथ ने संयुक्त रूप से किया था। यहां नेपाल से आकर बहुत से श्रद्धालु गुरु गोरक्षनाथ की पूजा अर्चना करते हैं। मकर संक्रांति को लेकर यहां दुकानें सज गई है।
दोनो देश के श्रद्वालु आते है खिचड़ी चढ़ाने
जादू, सकर्स, थिएटर, झूला आदि लगे हैं। मंदिर भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है। यहां नेपाल के भुटवल, बर्धघाट, भैरहवा, त्रिवेणी, अरुणखोला, चोरमारा, गैड़ाकोट, नारायणघाट, परासी, सेमरी से भक्त खिचड़ी चढ़ाने आते है। भारत के नौतनवां, सोनौली, ठूठीबारी, निचलौल, महराजगंज के भक्त भी गोपालपुर मंदिर पर पहुंचकर गुरु के मंदिर पर शीश नवाते हैं।