Kisan Andolan: सुप्रीम कोर्ट की कमेटी को लेकर किसान अंसतुष्ट, प्रदर्शन रखेंगे जारी, आज जलाएंगे कानून की प्रतियां

डीएन ब्यूरो

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। आज किसानों ने कृषि कानून की काॉपी जलाने की घोषणा की है। डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट

डेढ़ माह से अधिक समय से किसान आंदोलन जारी
डेढ़ माह से अधिक समय से किसान आंदोलन जारी


नई दिल्ली: सरकार के तीन कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को रोक लगाये जाने के आदेश के बावजूद भी किसानों ने आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। कोर्ट ने सरकार और किसान संगठनों के बीच चले आ रहे विवाद को निपटाने के लिए जिस कमेटी का गठन किया, किसान उस कमेटी से संतुष्ट नहीं है, जिसके बाद किसानों ने अपना प्रदर्शन जारी रखने की घोषणा की है। विरोध-प्रदर्शन के तहत किसानों ने आज कृषि कानून की प्रतियां जलाने की घोषणा की है। 

सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन को लेकर कल एक अहम फैसला देते हुए नये कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इसके साथ ही मामले का हल निकालने के लिये एक कमेटी बनाने का आदेश दिया, जो मध्यस्थता न कर निर्णायक नतीजे पर पहुंचेगी। इस कमेटी के समक्ष किसान अपनी बात रख सकेंगे। लेकिन कमेटी में शामिल लोगों से किसान संतुष्ट नहीं है। 

सुप्रीम कोर्ट के मंगलवार को ताजा फैसले पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि जब तक कानून वापसी नहीं होगा, तब तक किसानों की घर वापसी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हम अपनी बात रखेंगे, जो दिक्कत हैं सब बता देंगे। उन्होंने फिलहाल आंदोलन को जारी रखने के संकेत दिये हैं।

कमेटी को लेकर किसान सहमत नहीं है, जिसके चलते किसानों ने प्रदर्शन जारी रखने की बात कही है। बुधवार को लोहड़ी के मौके पर किसान संगठनों द्वारा कृषि कानून की प्रतियां जलाई जाएंगी। साथ ही 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन शांति से ट्रैक्टर रैली निकालने की बात कही है।

कांग्रेस पार्टी की ओर से भी किसानों का पुरजोर समर्थन किया गया है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की आलोचना की गई है। कांग्रेस ने किसानों की ट्रैक्टर रैली के समर्थन का भी ऐलान किया है।

कमेटी पर उठ रहे सवालों के बीच शतकरी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवंत ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने का फैसला किया है, किसानों का आंदोलन पिछले 50 दिनों से जारी है। इस आंदोलन को कहीं तो रुकना चाहिए और किसानों के हित में कानून बनाना चाहिए। 










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