महराजगंजः अस्पताल में डॉक्टर नहीं करते रात्रि निवास, इलाज के लिए भटकते रहते मरीज

डीएन संवाददाता

जनता को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये सरकार द्वारा भारी भरकम खर्च भी किया जा रहा है लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही से जनता को इलाज नहीं मिल पा रहा है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पकडी रम्हौली
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पकडी रम्हौली


महराजगंजः सरकार भले ही आमजनमानस को स्वास्थ्य लाभ के दावे कर ले किंतु स्वास्थ्य विभाग में बैठे पदस्थ वरिष्ठ चिकित्स्क सरकारी मंशा पर पानी फेरने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा ही मामला पकडी के रम्हौली स्थित नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सामने आया है, जहां रात को चिकित्सक यहां बने आवासों में रहने के बजाए बाहर रहते हैं, जिससे रात के आने वाले मरीजों का इलाज एक चुनौती बन जाता है।

डाइनामाइट न्यूज की टीम जब पकडी के रम्हौली स्थित नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो यहां कई तरह की अनियमितताएं में उजागर हुईं। 1 मार्च 2019 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रसाद नडडा के कर कमलों द्वारा अन्य नेताओं व गणमान्य लोगों की मौजूदगी में यहांं नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पकडी रम्हौली, महराजगंज का लोकार्पण किया गया था।

स्वास्थ्य केंद्र में तब मरीजों के लिए दवाओं से लेकर समस्त चिकित्सा उपकरण एवं चिकित्सकों के ठहरने के लिए लाखों की लागत से आवास की भी व्यवस्था की गई है। किंतु चिकित्सक यहां रात में निवास नहीं करते हैं, जिससे मरीजों को निजी साधन द्वारा मुख्यालय पर जाकर इलाज कराने को मजबूर होना पडता है। बहरहाल यहां की आबादी के लिए यह स्वास्थ्य सेंवाएं बेमतलब साबित हो रही हैं।

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वार्ड ब्वॉय के भरोसे चल रहा चिकित्सा केंद्र    
शनिवार की सुबह साढे नौ बजे डाइनामाइट न्यूज की टीम जब जनपद के पकडी रम्हौली स्थित नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो एक सफाईकर्मी अस्पताल परिसर की सफाई कर रही थी और बाहर वार्ड ब्वॉय खडे थे। पूछने पर वार्ड ब्वॉय ने बताया कि साहब कल शाम को ही घर चले गए थे।  

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चिकित्सा अधीक्षक के आवास पर ताला
यहां पर चिकित्सा अधीक्षक डा मदन लाल चौरसिया (निवासी गोला, बडहलगंज) और एक फार्मासिस्ट आनंद पाल चौधरी (निवासी सिद्धार्थनगर) की नियुक्ति है। 

क्या कहते हैं स्थानीय निवासी 
स्थानीय निवासी रवि मददेशिया, अमर मणि उपाध्याय आदि ने बताया कि रात को प्रसव, सडक दुर्घटनाएं जैसी तात्कालिक जरूरतें आने पर अस्पताल में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि रात में डाक्टर यहां नहीं रुकते। रात को डॉक्टरों के न होने से भला इलाज कैसे होगा?










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