DN Exclusive: एवरेस्ट जीतने निकले महराजगंज के लाल शिवम पटेल को लेकर बड़े अपडेट, माता-पिता और परिजनों से सुनिये अनसुनी कहानी

डीएन ब्यूरो

17 वर्ष की उम्र में साइकिल से भारत भ्रमण और 18 की उम्र में एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ कर भारत का झंडा फहराने की जिद करने वाले अनोखे नवयुवक शिवम की रोमांचक कहानी को लेकर डाइनामाइट न्यूज पर कुछ बड़े अपडेट



महराजगंज: 17 वर्ष की उम्र में साइकिल से 2800 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा कर भारत भ्रमण करने और अब हिमालय की चोटी एवरेस्ट पर साइकिल से चढ़ कर तिरंगा फहराने की जिद में निकला पड़ा साइकिलिस्ट शिवम पटेल।

डाइनामाइट न्यूज से बातचीत के दौरान शिवम पटेल के पिता रामआशीष पटेल और उनके गांव के लोगो ने बताया कि शिवम की स्कूली शिक्षा चौक के बाद गोरखपुर चला गया औऱ वहां से एमजी इंटर कॉलेज से इस वर्ष 12वीं पास की है।

इसके बाद उसने मन में ठान लिया कि हम साइकिल से एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ कर वहां तिरंगा फहरा कर देश का नाम ऊंचा करेंगे और एक नया रिकार्ड बनाएंगे। हिमालय का मौसम साइक्लिस्ट शिवम के रास्ते में रुकावटे डाल रहा है लेकिन शिवम के इरादे भी जिद्दी हैं और तिरंगा एवरेस्ट बेस कैम्प पर लहराने का जुनून विषम परिस्थितियों से लड़ने का हौसला दे रहा है।

शिवम गुरुवार को एवरेस्ट बेस कैम्प पर तिरंगा फहराने वाले थे लेकिन खराब मौसम यात्रा में बाधक बन गया। एवरेस्ट बेस कैम्प पर पहुंच विश्व के पहले साइक्लिस्ट का रिकार्ड कायम करने निकले शिवम 23 जून को तिरंगा लहराने वाले हैं। मौसम रुकावट नहीं बना तो जल्द ही तराई का लाल देश के नाम विश्व रिकार्ड दर्ज कर देशवासियों को गौरवान्वित करेगा।

जनपद का लाल शिवम पटेल शुक्रवार को एवरेस्ट बेस कैम्प पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य रख यात्रा कर रहे थे लेकिन मौसम खराब होने के कारण लक्ष्य तक पहुंचने में विलम्ब हो गया। खराब मौसम के बीच सांस की समस्या होने पर गुरुवार को शिवम बेस कैम्प के 9 किमी पहले ठुकला में रुक गये ताकि आगे की यात्रा के लिए मौसम के अनुरुप शरीर का अनुकूलन बन सके।

 गुरुवार को रेस्ट के बाद शुक्रवार को गोरकशेप के लिए निकले जो 5300 मीटर की ऊंचाई पर है और जहं से एवरेस्ट बेस कैम्प तीन किमी दूर है। गोरकशेप से यात्रा शुरु कर शनिवार को शिवम एवरेस्ट बेस कैम्प पर तिरंगा लहराएंगे और काला पत्थर भी जाएंगे। 
गुरुवार को पौने ग्यारह बजे शिवम के घर पर उनके पिता से लगभग एक घंटे तक बात करके उनकी यात्रा का अनुभव साक्षा किया। शिवम रिकार्ड कायम करने को लेकर काफी उत्साहित हैं। शिवम ने बताया कि आक्सीजन से सांस अटकने की समस्या होने पर वह ठुकला में आराम करने लगे। बर्फबारी के बीच कैम्प में रात बीताना पड़ा और अकेले पहाड़ पर ठहरना भोजन बनाना काफी चुनौती पूर्ण है। 

शिवम ने बताया कि जनपदवासियों का सपोर्ट मुश्किलों से लड़ने की ताकत दे रहा है। शिवम प्रतिदिन वीडियो कॉल पर परिजनों से बात कर यात्रा और स्वास्थ्य की चर्चा करते हैं। शिवम की सफल यात्रा को लेकर जनपद वासी दुआएं कर रहे हैं और ऐतिहासिक पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

 

शिवम ने अपने पिता से सुबह बातचीत के दौरान बताया कि ऊंचे पहाड़ पर रेस्टोरेंट व लांज में नेपाली नागरिकों का काफी सहयोग मिल रहा है। वह अलग बात है कि आठ से नौ सौ नेपाली रुपये में दाल चावल सब्जी की थाली मिल रही है। एक रोटी सात से आठ सौ रुपये नेपाली में मिल रही है। इतनी ऊंचाई पर भोजन मिल जाना ही बड़ी बात है। शिवम पांच दिनों से प्रोटीन के लिए दाल चावल सब्जी ही खा रहे हैं।
पहाड़ पर पानी ढाई तीन सौ रुपये नेपाली व्यय करना पड़ रहा है। शिवम को वाईफाई के लिए 800 रुपये 24 घंटे के लिए खर्च करने पड़ रहे हैं। शिवम ने बताया कि गुरुवार को 3 बजे ही वाईफाई से कनेक्टर पाएंगे। इसके बाद टारगेट पूर्ण करने के बाद मोबाइल से जुड़ सकेंगे। 

शिवम के पिता राम आशीष पटेल ने बताया कि शिवम बचपन से शाकाहारी है और यात्रा की शुरुआत करने से पहले मशरुम की सब्जी खाने की इच्छा पर घर पर मनपसंद सब्जी बनायी गयी। देश से रहे प्यार दुलार को देख पिता राम आशीष पटेल के साथ–साथ गांव के लोग और रस्तेदार काफी अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।










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