PM Modi in Uttarakhand: पीएम मोदी ने चुनाव से पहले उत्तराखंड को दी कई परियोजनाओं की सौगात, संबोधन में कहीं ये खास बातें

डीएन ब्यूरो

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच पीएम मोदी आज राजधानी देहरादून पहुंचे, जहां उन्होंने एक बड़ी रैली को संबोधित करने के साथ ही उत्तराखंड को कई परियोजनाओं की सौगात भी दी। पढ़िये पीएम मोदी के संबोधन की कुछ खास बातें

देहरादून में रैली को संबोधित करते पीएम मोदी
देहरादून में रैली को संबोधित करते पीएम मोदी


देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच पीएम मोदी आज राज्य की राजधानी देहरादून पहुंचे, जहां परेड ग्राउंड में उन्होंने एक बड़ी रैली को संबोधित किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने राज्य के लिये 18 हजार करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। परेड ग्राउंड में 'विजय संकल्प रैली' को संबोधितर करने के साथ ही उन्होंने राज्‍य में चुनावी शंखनाद भी कर दिया। उन्होंने आठ हजार करोड़ से अधिक की लागत से बनने वाले दिल्‍ली देहरादून इकनामिक कारिडोर का भी माडल देखा। 

डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में पढ़िये देहरादून में पीएम मोदी के संबोधन की कुछ खास बातें। 

1) इस शताब्दी की शुरुआत में, अटल जी ने भारत में कनेक्टिविटी बढ़ाने का अभियान शुरू किया था। लेकिन उनके बाद 10 साल देश में ऐसी सरकार रही, जिसने देश का, उत्तराखंड का, बहुमूल्य समय व्यर्थ कर दिया। 10 साल तक देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर घोटाले हुए, घपले हुए। इससे देश का जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई के लिए हमने दोगुनी गति से मेहनत की और आज भी कर रहे हैं।

2) आज भारत, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के इरादे से आगे बढ़ रहा है। आज भारत की नीति, गतिशक्ति की है, दोगुनी-तीन गुनी तेजी से काम करने की है। 

3) हमारे पहाड़, हमारी संस्कृति, आस्था के गढ़ तो हैं ही, ये हमारे देश की सुरक्षा के भी किले हैं। पहाड़ों में रहने वालों का जीवन सुगम बनाना देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। दुर्भाग्य से दशकों तक जो सरकार में रहे, उनकी नीति-रणनीति में दूर-दूर तक ये चिंतन कहीं था ही नहीं।

4) उत्तराखंड में अब होम-स्टे लगभग हर गांव में पहुंच चुके हैं। लोग बहुत सफलता से यहां होम-स्टे चला रहे हैं। उत्तराखंड होम-स्टे बनाने में, सुविधाओं के विस्तार में पूरे देश को दिशा दिखा सकता है। इस तरह के परिवर्तन उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाएंगे। आने वाले 5 वर्ष उत्तराखंड को रजत जयंती की तरफ ले जाने ले हैं। ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है, जो उत्तराखंड हासिल नहीं कर सकता। ऐसा कोई संकल्प नहीं है, जो इस देवभूमि में सिद्ध नहीं हो सकता। 

5) केदार धाम के पुनर्निर्माण ने ना सिर्फ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाई बल्कि वहां के लोगों को रोजगार-स्वरोजगार के भी अनेकों अवसर उपलब्ध कराए हैं। केदारनाथ त्रासदी से पहले, 2012 में 5 लाख 70 हजार लोगों ने दर्शन किया था। ये उस समय एक रिकॉर्ड था। जबकि कोरोना काल शुरू होने से पहले, 2019 में 10 लाख से ज्यादा लोग केदारनाथ जी के दर्शन करने पहुंचे थे।

6) आज मुझे बहुत खुशी है कि दिल्ली-देहरादून इकॉनॉमिक कॉरिडोर का शिलान्यास हो चुका है। जब ये बनकर तैयार हो जाएगा तो, दिल्ली से देहरादून आने-जाने में जो समय लगता है, वो करीब-करीब आधा हो जाएगा। 

7) साल 2007 से 2014 के बीच जो केंद्र की सरकार थी, उसने सात साल में उत्तराखंड में केवल 288 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाए। जबकि हमारी सरकार ने अपने सात साल में उत्तराखंड में 2 हजार किलोमीटर से अधिक लंबाई के नेशनल हाईवे का निर्माण किया है। 

8) वन रैंक वन पेंशन हो, आधुनिक अस्त्र-शस्त्र हो, आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देना हो, जैसे उन लोगों ने हर स्तर पर सेना को हतोत्साहित करने की कसम खा रखी थी। आज जो सरकार है वो दुनिया के किसी देश के दबाव में नहीं आ सकती। हम राष्ट्र प्रथम, सदैव प्रथम के मंत्र पर चलने वाले लोग हैं। 

9) सीमावर्ती पहाड़ी क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी पहले की सरकारों ने उतनी गंभीरता से काम नहीं किया, जितना करना चाहिए था। बॉर्डर के पास सड़कें बनें, पुल बनें, इस ओर उन्होंने ध्यान नहीं दिया। 

10) इन राजनीतिक दलों ने एक और तरीका अपनाया। उनकी विकृति का एक रूप ये भी है कि जनता को मजबूत नहीं, उन्हें मजबूर बनाओ, अपना मोहताज बनाओ। इस विकृत राजनीति का आधार रहा कि लोगों की आवश्यकताएं पूरी ना करो, उन्हें आश्रित बनाकर रखो। कुछ राजनीतिक दलों द्वारा, समाज में भेद करके, सिर्फ एक तबके को, चाहे वो अपनी जाति का हो, किसी खास धर्म का हो, उसे ही कुछ देने का प्रयास हुआ, उसे वोटबैंक में बदल दिया गया। 

11) दुर्भाग्य से, इन राजनीतिक दलों ने लोगों में ये सोच पैदा कर दी कि सरकार ही हमारी माई-बाप है, जब सरकार से मिलेगा, तभी हमारा गुजारा चलेगा। यानि एक तरह से देश के सामान्य मानवी का स्वाभिमान, उसका गौरव कुचल दिया गया, उसे आश्रित बना दिया गया और दुखद ये कि उसे पता भी नहीं चला। 

12) हमने कहा कि जो भी योजनाएं लाएंगे सबके लिए लाएंगे, बिना भेदभाव के लाएंगे। हमने वोटबैंक की राजनीति को आधार नहीं बनाया बल्कि लोगों की सेवा को प्राथमिकता दी। हमारी अप्रोच रही कि देश को मजबूती देनी। इस सोच, इस अप्रोच से अलग, हमने एक अलग रास्ता चुना। कठिन मार्ग है, मुश्किल है, लेकिन देशहित में है, देश के लोगों के हित में है। ये मार्ग है - सबका साथ-सबका विकास। 










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