Meghalaya: मेघालय हाई कोर्ट का अवैध खनन पर नियंत्रण को लेकर बड़ा फैसला, CRPF को दी ये बड़ी ताकत
मेघालय उच्च न्यायालय ने कहा कि पहाड़ी राज्य में कोयले के अवैध खनन और परिवहन को नियंत्रित करने और उसकी निगरानी करने में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की भूमिका अधिक आक्रामक हो सकती है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
शिलांग: मेघालय उच्च न्यायालय ने कहा कि पहाड़ी राज्य में कोयले के अवैध खनन और परिवहन को नियंत्रित करने और उसकी निगरानी करने में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की भूमिका अधिक आक्रामक हो सकती है।
उच्च न्यायालय ने मेघालय सरकार को यह भी बताने का निर्देश दिया कि राज्य में कोयले के अवैध खनन और परिवहन की प्रभावी निगरानी और रोकथाम के लिए उसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कितने कर्मियों की जरूरत है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मंगलवार को न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी के कटके को नियंत्रण और निगरानी के तौर-तरीकों पर काम करने का निर्देश दिया।
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आदेश में कहा गया है, ‘‘अब तक प्रतिबंध को लागू करने या अवैध परिवहन को रोकने में राज्य अप्रभावी रहा है, इसलिए आगे की निगरानी में उसकी भूमिका कम की जाती है और सीआरपीएफ इस संबंध में अधिक आक्रामक भूमिका निभा सकता है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘राज्य यह बताएगा कि कोयले के अवैज्ञानिक खनन पर प्रतिबंध और हाल ही में अवैध रूप से खनन किए गए कोयले के परिवहन पर प्रभावी निगरानी और जांच के लिए उसे सीएपीएफ कर्मियों की कितनी संख्या की आवश्यकता है।’’
सीएपीएफ की तैनाती की लागत पर अदालत के सवाल के जवाब में, डिप्टी सॉलिसिटर-जनरल ने अदालत को बताया कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की भूमिका प्रतिष्ठानों और इमारतों की रक्षा करना है, न कि वास्तव में पुलिस का काम करना।
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हालांकि, उन्होंने सूचित किया कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल राज्य पुलिस द्वारा आमतौर पर निभाए जाने वाले पुलिसिंग संबंधी दायित्वों के संवर्धन के लिए उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि उक्त बल की कंपनियां और बटालियन शिलांग और गुवाहाटी दोनों में उपलब्ध हैं।
खनन क्षेत्रों में लोगों की आजीविका की कमी से नाराज अदालत ने राज्य सरकार को उन लोगों को वैकल्पिक आजीविका प्रदान करने के लिए योजनाएं तैयार करने का भी निर्देश दिया, जिन्होंने अवसरों के अभाव में खतरनाक खनन विधियों का सहारा लिया है।
मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।