महराजगंजः आदर्श वार्ड का बुरा हाल, खुले में शौच के लिए विवश परिवार

डीएन संवाददाता

सरकार भले ही निचले पायदान तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने के दावे कर रही हो किंतु जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां करती नजर आ रही है। पेंशन, आवास, शादी अनुदान यहां तक की शौचालय के न होने के कारण खुले में शौच जाने को परिवार विवश हैं। पढें डाइनामाइट न्यूज की खास रिपोर्ट

रिक्शा चालक प्रकाश
रिक्शा चालक प्रकाश


महराजगंजः नगर पालिका क्षेत्र परिसीमन से तो बढ गया है लेकिन योजनाओं का दायरा नहीं बढ़ा। आज भी सरकारी योजनाओं के दायरे से कई परिवार बाहर हैं। कुछ ऐसा ही मामला धनेवा वार्ड नंबर 11 में सामने आया है। डाइनामाइट न्यूज की टीम ने धनेवा वार्ड का स्थलीय दौरा किया तो तमाम चोंकाने वाले तथ्य उजागर हुए। 

डाइनामाइट न्यूज की टीम ने बीते सप्ताह पंतनगर का निरीक्षण किया था, जहां एक ऐसा परिवार सामने आया जिसके घर में आज भी लकडी के चूल्हे पर भोजन पक रहा है। अब धनेवा में भी शौचालय की असुविधा का बड़ा मामला प्रकाश में आया है। 

नहीं मिली शौचालय की सुविधा
वार्ड नंबर-11 धनेवा के निवासी प्रकाश की उम्र 65 वर्ष के आसपास है। इनके परिवार में पति-पत्नी मिलाकर कुल 9 सदस्य हैं। बता दें कि पहले यह ग्रामसभा थी, परिसीमन क्षेत्र में वृद्धि होने के कारण यह नगर पालिका के दायरे में आया। तबसे लेकर आज तक इस परिवार के सभी सदस्य शौचालय के अभाव में खुले में शौच जाने को विवश हैं। 

पीएम आवास की उम्मीद पर फिरा पानी 
टूटा-फूटा ही सही, लेकिन कहने को तो प्रकाश का निजी मकान है। हर गरीब को आशियाना देने की परिकल्पना इस परिवार के लिए बेमानी साबित हो रही है। दो वर्ष से पीएम आवास निधि की उम्मीद इस परिवार को है। अब देखना यह है कि जनप्रतिनिधि इस परिवार पर कब मेहरबान होंगे। 

पेंशन भी नहीं, अब कैसे कटेगा बुढापा  
प्रकाश अपने जीवन के 65 वसंत पार कर चुके हैं, किंतु आज तक इन्हें वृद्धावस्था पेंशन की सुविधा नहीं मिल सकी है। नम आंखों से प्रकाश ने डाइनामाइट संवाददाता को बताया कि साहब अब बुढापे की चिंता सता रही है। 

छिन गई रोजी-रोटी, कभी भूखे गुजरती हैं रातें 
कोविड के बाद काफी तेजी से चलन में आए ई-रिक्शा ने साइकिल रिक्शा चालकों की रोजी-रोटी पर संकट खडा कर दिया है। प्रकाश ने बताया कि करीब 50 वर्ष से रिक्शा चलाकर जीविकोपार्जन कर रहा हूं। कोरोना के बाद जबसे ई-रिक्शा बाजार में आए, हमारा तो धंधा ही चैपट हो गया। बीते सोमवार को यह मात्र 20 रूपए ही कमा पाया था। प्रकाश बताते हैं कि कभी-कभी तो यह भी नहीं मिलता, परिवार के सदस्यों को भूखे पेट रात गुजारनी पडती है। 

दो बेटियों के शादी की सता रही चिंता
धनेवा निवासी प्रकाश की 7 संतान हैं। 6 लडकी और एक लडका में से किसी तरह 4 लडकियों की शादी कर चुका है। शादी अनुदान योजना के बारे में प्रकाश बताते हैं कि इस योजना ही हमें जानकारी ही नहीं है। अभी दो बेटियों की शादी इस आर्थिक संकट में कैसे करूंगा, इसकी चिंता सता रही है। 










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