सिद्धार्थनगरः रैन बसेरे पर एंबुलेंस कर्मियों का कब्जा, मरीजों को बाहर काटनी पड़ती है सर्द रात

डीएन ब्यूरो

डाइनामाइट न्यूज़ टीम ने जिला अस्पताल में बने रैन बसेरे की हकीकत जानने के लिए पहुंची। जहां उसे ऐसे दृश्य देखने को मिले। जो वास्तव में हैरान करने वाले हैं। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं..



सिद्धार्थनगरः आमतौर पर अस्तपाल में रैन बसरों का निर्माण इस उद्देश्य के साथ किया जाता है कि अस्पताल में आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को थोड़ी बहुत राहत मिल सके। लेकिन सोचिए जब रैन बसेरों में ही उन्हें रहने की जगह न मिले तो वे इस प्रचंड ठंड में आखिर जाए कहां? दरअसल हम बात सिद्धार्थनगर के जिला अस्पताल में बनाए गए रैन बसेरे की कर रहे हैं जिसको एंबुलेंस 108 व एंबुलेंस 102 के चालक और परिचालकों ने ही अपना ठिकाना बना लिया है।

इसके कारण तीमारदारों एवं गरीब लोगों को बाहर अलाव के सहारे रातें काटनी पड़ती हैं। दरअसल यह मामला तब सामने आया जब डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने रात में अस्पताल का  दौरा किया। टीम डाइनामाइट से बातचीत में एंबुलेंस 108 व 102 के चालक सत्यम सिंह ने बताया कि सीएमएस ने हमें यह रैनबसेरा दिया है।

इसके अलावा हमारे पास रहने का अन्य कोई स्थान नहीं है। जबकि जिला अस्पताल की दीवारों पर स्पष्ट रुप से लिखा गया है कि रैन बसेरे तीमारदारों के लिए हैं। जबकि दूसरी ओर डाइनामाउइट न्यूज की टीम ने पाया कि इमरजेंसी वार्ड के बाहर मरीज रात में रहने को मजबूर हैं।

उन्होंने बताया कि हमें अलाव के सहारे पूरी रात काटनी पड़ती है। रैन बसेरे में रहने के सवाल पर उहोंने कहा कि जब उन्हें आदेश मिलेगा तभी वे वहां जाकर रह सकते हैं। अब सवाल यह है कि रैन बसेरा बनाया किसलिए गया है और उपयोग कौन कर रहा है? उम्मीद है जल्द ही अस्पताल प्रशासन इस ओर ध्यान देने का कार्य करेगा। 










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