भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को आखिर अब क्यों हुई ‘रावण’ से नफरत?
बसपा सुप्रीमो मायावती से मिली फटकार के बाद अब भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर राजनीति में दमदार एंट्री करना चाहते है। उन्होंने साफ किया कि उनके नाम से समर्थकों समेत समाज में गलत संदेश जा रहा है। आखिर क्यों बदला उन्होंने अपना नाम..पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में..
लखनऊः हाल ही में जेल से जमानत पर बाहर आए भीम सेना प्रमुख चंद्रशेखर के लिए कुछ भी ठीक होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। जेल से रिहाई के बाद बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती को बुआ जी कहने और उनको अपना आदर्श मानने वाले चंद्रशेखर उर्फ रावण ने पहले कभी नहीं सोचा होगा कि उन्हें मायावती से बुरी तरह फटकार मिलेगी। मायावती ने रविवार को चंद्रशेखर से अपने किसी भी तरह के रिश्ते को नकार दिया है। मायावती द्वारा नकारे जाने के बाद चंद्रशेखर ने अब अपने नाम को लेकर बड़ा ऐलान किया है।
रावण नाम से अब चंद्रशेखर को हुई नफरत
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मायावती से फटकार मिलने के बाद अब इस कहानी में नया मोड़ ये आया है। चंद्रशेखर अब अपने उपनाम से सहमत नजर नहीं आ रहे हैं, जिसके पीछे कई राजनीतिक कारण बताये जा रहे है।
चंद्रशेखर ने रविवार को अपने भीम आर्मी के समर्थकों और मीडिया से बातचीत में कहा कि मुझे लगता हैं कि मेरे नाम के पीछे रावण लगने से हमारी लड़ाई को लोग गलत समझ रहे हैं। इसलिए मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं रावण नाम से मेरी और भीम आर्मी की छवि को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि अब से यह उपनाम रावण मेरे नाम के पीछे नहीं लगेगा। चंद्रशेखर ने कहा कि उनके शैक्षिक प्रमाणपत्रों में उनका नाम केवल चंद्रशेखर है, रावण नाम का इसमें कोई जिक्र नहीं है।
चंद्रशेखर ने कहा कि मैं देख रहा हूं मीडिया जिस तरह से मेरे नाम के पीछे रावण लगाकर मुझे एक अलग परिदृश्य में दिखा रहा हैं यह कहीं न कहीं गलत है। इसलिए अब अगर आज के बाद प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वह चंद्रशेखर की जगह अगर रावण नाम का इस्तेमाल करेंगे तो मैं उनके खिलाफ कोर्ट जाऊंगा।
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बता दें कि दलितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले चंद्रशेखर न सिर्फ अपने संगठन भीम आर्मी के नाम से सुर्खियों में बने हुए हैं बल्कि उनके पीछे लगने वाले नाम यानी रावण की वजह से वह खासे लोकप्रिय हुए हैं।
अब अगर उन्होंने यह निर्णय किया है कि उन्हें सिर्फ चंद्रशेखर नाम से संबोधित किया जाए तो इसके पीछे भी कई मायने निकलते हैं। राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि हो सकता है कि मायावती ने सवर्ण वोटों के चलते भी चंद्रशेखर से दूरिया बनाई हो क्योंकि उन्हें रावण नाम से संबोधित किया जाता है। इससे मायावती को राजनीतिक खतरा भी दिख रहा है।