Bank Loan Rule: बैंक लोन से जुड़ी बड़ी खबर, RBI ने बदले नियम, जानिये नई गाइडलाइंस

आरबीआई ने लोन लेने के नियमों में बदलाव किया है। ये RBI के नए नियम जानने के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये खास रिपोर्ट।

Updated : 9 January 2025, 6:01 PM IST
google-preferred

नई दिल्ली: अब पर्सनल लोन (Personal Loan) लेने वालों को एक से ज्यादा लोन लेने में काफी मुश्किल हो सकती है। क्योंकि आरबीआई ने लोन देने और लेने, दोनों में ही बड़ा बदलाव किया है। यह नियम उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करेंगे जो एक से ज्यादा कर्ज़ लेते हैं और उसे चुकाना उनके बस में नहीं होता। 

क्या हैं RBI के नए नियम?

आरबीआई के नए नियम के अनुसार अब लेंडर्स को क्रेडिट ब्यूरो में लोन की जानकारी एक महीने की जगह 15 दिन के अंदर अपडेट करना होगी। इससे कर्ज देने वालों को डिफॉल्ट पेमेंट रिकॉर्ड की सही जानकारी मिल सकेगी और कर्ज लेने वालों के जोखिम का बेहतर आकलन हो सकेगा।

मल्टिपल लोन के रिस्क से होगा बचाव

इस नियम के लागू होने से उन लोगों को फायदे होगा जो एक से ज्यादा लोन लेते हैं और उन्हें चुकाने में परेशानी होती है। क्योंकि अब बैंक खुद आपको मल्टिपल लोन के रिस्क के बारे में बताएंगे। यह नियम अगस्त 2024 को जारी किए गए थे। जिसे 1 जनवरी 2025 को लागू किया गया है। कुल मिलाकर अब EMI रिपोर्टिंग में देरी कम होगी और पेमेंट डिफॉल्ट की सही जानकारी मिल सकेगी। 

लोन का नेगेटिव प्वाइंट 

जब भी लोगों को पैसों की अर्जेंट जरूरत होती है, तो वो पर्सनल लोन की ओर भागते हैं। क्योंकि यह बहुत आसानी से मिल जाता है। इस लोन का नेगेटिव प्वाइंट यह है कि इसकी टेन्योर बहुत कम होता है और ब्याज काफी ज्यादा। वहीं दूसरी ओर सही समय पर ईएमआई ना चुकाने पर बैंक स्कोर पर भी नेगेटिव असर पढ़ता है। बिना सोचे-समझे पर्सनल लोन लेने पर फाइनेशियल प्रोबलम आसकती है। 

पर्सनल लोन के फायदे

किसी एमर्जेंसी के लिए पर्सनल लोन एक नायाब सुविधा है। क्योंकि यह लोन आसानी से मिल जाता है और इसके लिए ज्यादा डॉक्यूमेंट भी नहीं लगते। इसके अलावा राशी आपके खाते में जल्दी ही आ जाती है। जिसे आप पढ़ाई से लेकर शादी, चिकित्सक सुविधा ले सकते है। 

‘एवरग्रीनिंग’ पर लगेरी रोक

लेंडर्स का मानना है कि इन बदलाव से एवरग्रीनिंग जैसी हरकतों पर भी रोक लगेगी। अक्सर ऐसा होता है कि पुराने कर्ज को ना चुकाने पर लोग नया कर्ज ले लेते हैं। जिससे उनकी असल स्थिति छुपी रहती है। इन नए नियमों से कर्ज देने का सिस्टम और ज्यादा ट्रांसपेरेंट होगा और रिपोर्टिंग समय घटाने से क्रेडिट ब्यूरो और लेंडर्स को ज्यादा भरोसेमंद डेटा मिलेगा।