DN Exclusive news: विकसित भारत के सारे दावे फेल, नौतनवा में एक ऐसा गांव जहां नाव में सफर करने को मजबूर हैं नागरिक, एक ओर जंगल दूसरी तरफ नदी के बीच रहने को विवश ग्रामीण

डीएन संवाददाता

महराजगंज जनपद के नौतनवा तहसील में एक ऐसा भी गांव है जो विकसित भारत के दावे को ठेंगा दिखाता नजर आ रहा है। चुनाव के वक्त आकर जब प्रत्याशी इनसे वोट की गुहार लगाते हैं तो नागरिकों का गुस्सा फूट पड़ता है। जनप्रतिनिधियों ने इन्हें हमेशा ठगने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पढें डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

सेमरहा खास के लोग
सेमरहा खास के लोग


अफरोज खान, नौतनवा (महराजगंज): नौतनवा तहसील के अंतर्गत एक गांव ऐसा भी है जहां आज भी जाने का कोई सुरक्षित मार्ग नहीं है। आजादी के बाद से आज तक लोग गांव तक पहुंचने के लिए रास्ते के लिए तरस रहे हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के महराजगंज जनपद में पड़ने वाले नौतनवा तहसील के सेमरहा खास के लोग आज भी नाव के ही सहारे अपने घर को जाते हैं। सेमरहा खास गांव के दोनो तरफ से एक नदी बहती है और एक तरफ से घना जंगल घिरा है।

डाइनामाइट न्यूज की टीम ने जब इस गांव को दौरा किया तो ग्रामीणों ने अपनी बेबसी बताई। 

यह कहना कत्तई अनुचित नहीं होगा कि बेबस लोगों के जिंदगी में एक तरफ कुंआ है तो दूसरी ओर खाई।

ग्रामीणों को रोहिन नदी के पानी का तो खतरा बना ही रहता है साथ ही बरसात के समय में बाढ़ की समस्या से जूझना पड़ता है।

यही नहीं घने जंगल के खतरनाक जानवरों के कारण ग्रामीणों की हर रात भय के साए में गुजरती है।

कोई ऐसा साल नहीं जाता जब इस गांव में जानवरों का हमला न हो।

कभी जंगली सूअर तो कभी तेदुएं के हमले में यहां के लोग शिकार भी हो चुके हैं।

अब बात करें जीविकोपार्जन की तो गरीब किसान खेतों में फसल की पैदावार करते हैं, इन्हें भी जंगली जानवर नुकसान पहुंचाते हैं।

बता दें कि रोहिन नदी को पार करने के बाद ही जो सीधे गांव को जोड़ता है। आज तक इस नदी पर कोई पुल का निर्माण नहीं हो सका है। बरसात में तो पानी के उफान के कारण आगवामन बाधित हो जाता है। नाव के सहारे जाने से भी खतरा बना रहता है।

कई बार नाव पलटने की घटनाएं भी हो चुकी हैं। दो हजार से अधिक वोटर होने के कारण जनप्रतिनिधियों को केवल चुनाव के समय ही इस गांव की याद आती है।

आज देश भले आजाद हो गया हो लेकिन इन ग्रामीणों की समस्याएं दिनोंदिन विकराल रूप धारण किए हुए हैं। 










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