DN Exclusive: यूपी के एक जिले में जहरीली शराब से 73 लोगों की मौत के बाद भी डीएम-एसएसपी क्यों नहीं किये गये सस्पेंड? उठे सवाल

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जहरीली शराब का कहर जारी है। अवैध शराब के कारण मृतकों की संख्या हर रोज बढती जा रही है और अब तक 73 लोगों की जान जा चुकी है। लगातार मौतों के बाद कई सवाल उठने लगे हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

मौतों के बाद अवैध शराब को लेकर जांच में जुटा अलीगढ़ पुलिस-प्रशासन
मौतों के बाद अवैध शराब को लेकर जांच में जुटा अलीगढ़ पुलिस-प्रशासन


लखनऊ: प्रदेश के अलीगढ़ जनपद में जहरीली शराब का कहर अब भी जारी है। गुरुवार रात को सामने आये अवैध शराब के इस मामले में हर रोज मृतकों का आंकड़ा बढत जा रहा है। सोमवार सुबह तक इस अवैध शराब के सेवन से 73 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कुछ लोगों की स्थिति अब भी गंभीर बतायी जा रही है। जहरीली और अवैध शराब के इस मामले ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। इस शराब कांड को जहां ‘सियासी कॉकटेल’ नाम दिया जा रहा है वहीं स्थानीय पुलिस प्रशासन को लेकर भी लोगों में भारी गुस्सा है। कई अफसरों को निलंबित किया जा चुका है। लोग ये सवाल जोरों पर उठा रहे हैं कि सबसे अधिक जिम्मेदार होने के नाते जिले के डीएम और एसएसपी को आखिर क्यों नहीं सस्पेंड किया जा रहा है? 

शराबकांड में मृतकों के गांव में पसरा सन्नाटा

इस शराब कांड का गुस्सा स्थानीय स्तर से लेकर सोशल मीडिया पर भी देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर कई लोग अलीगढ़ के जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह को निलंबित करने की मांग करे रहे हैं। एसएसपी कलानिधि नैथानी के खिलाफ भी लोगों में भारी गुस्सा है। इस मांग के लिये सोशल मीडिया यूजर्स हैश टेग (#अलीगढ़_जिलाधिकारी_को_बर्खास्त_करो) का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस हैश टेग पर अब तक अनगिनित ट्विट और रिट्विट किये जा चुके हैं।  

ट्विटर पर पर भी दिख रहा लोगों का गुस्सा

पुलिस भले ही इस मामले में अब तक दो बड़े और मुख्य गुनहगारों समेत लगभग एक दर्जन आरोपियों और लोगों को गिरफ्तार कर चुकी हो लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अवैध शराब के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा कड़े कानून बनाये जाने के बाद भी इस गोरखधंधे पर समय रहते लगाम क्यों नहीं लगी? इसलिये इन मौतों के लिये लापरवाह पुलिस-प्रशासन को भी क्यों न दोषी माना जाए? 

स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अलावा पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि  यह गोरखधंधा कुछ सफेदपोशों के इशारे पर चल रहा था, जिनकी पहुंच काफी ऊपर तक बतायी जाती है। ऐसे में जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह, एसएसपी कलानिधि नैथानी और एडीएम (वित्त) विधान जयसवाल पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं। इन अधिकारियों पर मामले में लापरवाही करने और तथ्यों को छुपाने का भी गंभीर आरोप लग रहा है। 

गम और गुस्से में है स्थानीय लोग

स्थानीय लोगों का आरोप है कि जहरीली शराब कांड मामले में प्रशासन ने कई शवों का बगैर पोस्टमार्टम कराए जबरन अंतिम संस्कार करा दिया। मृतकों के करीबियों को भी इसकी उचित तरीके से जानकारी तक नहीं दी गई। इससे नाराज मृतकों के परिजनों ने डीएम कार्यालय का भी घेराव किया। तमाम मीडिया रिपोर्टों में जिलाधिकारी और एसएसपी पर पोस्टमार्टम हाउस में पहुंचकर लाशों को देखने के बाद भी आंकड़ों को छिपाने के आरोप लगाये जा रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि तथ्यों को छिपाकर डीएम-एसएसपी किसकों बचाना चाहतें हैं?     

स्थानीय जनता के अलावा भाजपा सांसद सतीश गौतम ने भी अलीगढ़ में शराब कांड और इससे हुई मौतों के लिये सीधे तौर पर जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह को जिम्मेदार माना हैं। सांसद ने सवाल किया कि जब डीएम-एसएसपी अच्छे कामों की श्रेय लेते हैं, तो इसके लिए वे जिम्मेदार कैसे नहीं होंगे? जिलाधिकारी जिले का मालिक होता है, तो सब कुछ उसकी नाक के नीचे हो रहा है। सांसद के बयान पर स्थानीय लोग सहमति जताते हुए कहते हैं कि जिलाधिकारी के साथ एसएसपी पर भी कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी होती है, ऐसे में वे भी इसके लिये सीधे तौर पर दोषी है। इसलिये दोनों को तत्काल निलंबित किया जाना चाहिये।

बता दें कि अलीगढ़ शराब कांड के बाद पूरे राज्य की पुलिस एक बार फिर अवैध शराब के खिलाफ अलर्ट हो गई है। कई जगह छापेमारी औऱ जांच की जा रही है। अलीगढ कांड के दोषियों की तलाश में अलीगढ़ के साथ ही एटा, मैनपुरी, गौतमबुद्धनगर तथा आगरा में दूसरे 50 हजार के इनामी समेत अन्य की तलाश जारी है। इस केस में पुलिस ने 50 हजार रुपये के इनामी माफिया मैनपुरी के विपिन यादव सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। अब तक कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 










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